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'कोरोना वैक्सीन से मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं', SC में केंद्र का हलफनामा

यह मामला पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई मौत से जुड़ा है. इस मामले में युवतियों के माता पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले में अब केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से हुईं कथित मौतों पर केंद्र सरकार ने कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि उसे मृतकों और उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. 

दरअसल, यह मामला पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई मौत से जुड़ा है. इस मामले में युवतियों के माता पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से हुईं इन कथित मौतों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई थी. याचिका में वैक्सीनेशन के बाद किसी भी साइड इफेक्ट का समय रहते पता लगाकर उससे बचाव के उपाय करने के लिए विशेषज्ञों का बोर्ड बनाने का आदेश देने की भी मांग की गई है. 

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केंद्र ने दाखिल किया जवाब

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा था. इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया. इसमें कहा गया है कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण हुई मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा. 
 
कोर्ट ने दोनों युवतियों की मौत पर संवेदना और सांत्वना जताते हुए कहा कि सिर्फ एक मामले में एईएफआई कमेटी ने वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट से मौत की पुष्टि की है. केंद्र सरकार ने हलफनामे के जरिए दायर जवाब में कहा कि जिन मामलों में वैक्सीन की वजह से मौत हुई है, उनमें सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर मुआवजा मांगा जा सकता है.
 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने याचिकाकर्ता की मुआवजे की मांग खारिज करते हुए कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट की वजह से शारीरिक चोट भी आती है या उसकी मौत होती है तो कानून के मुताबिक वह या उसका परिवार मुआवजे या हर्जाने की मांग को लेकर सिविल कोर्ट में दावा कर सकता है. हलफनामे में कहा गया है कि लापरवाही को लेकर ऐसे मामले केस-दर-केस के आधार पर दायर किए जा सकते हैं. 

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