
बिहार में होने वाले चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने इलेक्टोरल बॉन्ड की 14वीं श्रृंखला को मंजूरी दे दी है, जो कि आज से बिक्री के उपलब्ध होगा. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, इसकी बिक्री 28 अक्टूबर तक की जा सकेगी.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, चुनाव आयोग ने आचार संहिता के मुताबिक शर्तों के साथ इन बॉन्ड की बिक्री को मंजूरी दे दी है. चुनाव आयोग के मुताबिक, कोई भी भारतीय नागरिक या कारोबारी इन बॉन्ड को खरीद सकता है. स्टेट बैंक की कुल 29 ब्रांच से इन्हें खरीदा जा सकता है, जो कि 15 दिनों के लिए वैलिड होंगे.
आचार संहिता के मद्देनज़र चुनाव आयोग ने कहा है कि कोई भी नेता या राजनीतिक दल अपनी सार्वजनिक सभाओं या बयानों में चुनावी बॉन्ड का जिक्र नहीं करेगा, ना ही किसी से योगदान करने के लिए कहेगा. इस पहल का मकसद राजनीतिक कामों के लिए या राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना है.
क्या है ये इलेक्टोरेल बॉन्ड?
कोई भी दानकर्ता अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है. ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट प्राप्त है. आम चुनाव में कम से कम 1 फीसदी वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल को ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल हो सकता है.
एक व्यक्ति, लोगों का समूह या एक कॉरपोरेट बॉन्ड जारी करने वाले महीने के 10 दिनों के भीतर एसबीआई की निर्धारित शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. जारी होने की तिथि से 15 दिनों की वैधता वाले बॉन्ड 1000 रुपए, 10000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में जारी किए जाते हैं. ये बॉन्ड नकद में नहीं खरीदे जा सकते और खरीदार को बैंक में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) फॉर्म जमा करना होता है.