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सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को सरकार से कहा कि वो राजधानी और आसपास स्मॉग ना होने के लिए हरसंभव उपाय करे. आयोग को आज से ही यह काम शुरू कर देना चाहिए. हमें आयोग की बजाए जनता से मतलब है. वैसे भी पहले ही बहुतेरे आयोग हैं. अब तो बस ये सुनिश्चित कर दीजिए कि स्मॉग का धुआं जनता के फेफड़ों में ना जाए. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण को लेकर एक आयोग का गठन किया गया है.
दिल्ली की लगातार खराब होती हवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि स्मॉग की स्थिति न बने और इसमें ढिलाई, लापरवाही बरतने वाले दोषियों को ऐसे हरेक अपराध के लिए पांच साल जेल या एक करोड़ रुपये के आर्थिक जुर्माने का प्रावधान हो.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने हाथ जोड़कर सबको दिवाली की शुभकामनाएं और बधाई देकर विदा लेने से पहले साफ कर दिया कि प्रदूषण मामले पर सुनवाई तो दीवाली के बाद होगी, लेकिन आयोग कार्रवाई अभी से शुरू कर दे.
केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश 2020 के तहत अपनी शक्तियों और अधिकारों के इस्तेमाल कर आयोग को सारी सुविधाएं देकर उसकी सिफारिशों पर फौरन अमल करेगा.
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केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत को बताया कि इसी अध्यादेश के तहत आयोग बनाया गया है. कोर्ट ने कहा ये तो ठीक है लेकिन दिवाली के बाद इस पर सुनवाई होगी. तब तक आप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों को स्मॉग मुक्त रखने के इंतजाम सुनिश्चित करिए.
सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने फौरन कहा कि इस दौरान किसी को भी सांस लेने में या स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत हो तो सॉलिसिटर जनरल मेहता को ही जिम्मेदार माना जाए क्योंकि मुझे तो अभी से ही खांसी कफ शुरू हो गया है. मेहता ने भी नहले पर दहला जड़ा और कहा, 'मेरी तो सलाह है कि आपको कुछ चीजें छोड़ देनी चाहिए.' इस पर एक ठहाका लगा. लेकिन तभी विकास सिंह ने कोर्ट का ध्यान दिलाया कि आयोग में स्वास्थ्य मंत्रालय का सदस्य नहीं है. साथ ही अपराध की अलग-अलग श्रेणियां भी नहीं हैं.
प्रदूषण से खतरा ज्यादाः स्वास्थ्य मंत्रालय
इस बीच बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में आज शुक्रवार को शहरी विकास से संबंधित संसदीय समिति की बैठक हुई जिसमें दिल्ली के प्रदूषण पर चर्चा हुई और इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से प्रेजेंटेशन भी दिया गया.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है. प्रदूषण के कारण ड्रॉपलेट्स अधिक देर तक हवा में रह सकते हैं, जिसके कारण कोरोना संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि प्रदूषण के कारण लोगों को सर्दी और खांसी की समस्या अधिक रहेगी. इससे भी कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है.