
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तीन चरणों में होने वाली सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Exam) के जरिए प्रशासनिक अधिकारी चुने जाते हैं. लेकिन लेटरल एंट्री (Lateral Entry) की वजहों से यह परीक्षा चर्चा में है. दरअसल, 2018 में केंद्र सरकार ने सिविल सेवाओं में पेशेवरों को लाने और केंद्र में आईएएस अधिकारियों की कमी की समस्या को दूर करने के लिए संयुक्त सचिवों की लेटरल भर्ती करने का निर्णय लिया था.
कहां कितने पद?
लेटरल एंट्री (Lateral Entry) से आठ संयुक्त सचिव (Joint Secretaries) ने ज्वाइन किया. इनमें से वर्तमान में 7 कार्यरत हैं. पांच संयुक्त सचिवों में 2 जनरल कैटेगरी से, एक ओबीसी कैटेगरी से और बाकी दो के बारे में फिलहाल कोई सूचना नहीं. भविष्य के लिए निदेशक/DS स्तर पर लेटरल एंट्री का प्रस्ताव विचाराधीन है.
लेटरल भर्ती वाली योजना कितनी सफल रही?
तीन साल बाद हमने यह पता लगाने की कोशिश की कि सरकार की लेटरल भर्ती वाली योजना कितनी सफल रही है. साथ ही इस योजना के माध्यम से कितने पेशेवरों को सिविल सेवाओं में शामिल किया गया था? उनकी विशेषज्ञता क्या थी और उन्हें कितना वेतन मिल रहा है?
लेटरल भर्ती वालों में से कितने अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति या अल्पसंख्यक समुदायों से हैं? क्या सरकार में उनके काम का कोई आंकलन किया गया है? हमने यह भी पता लगाने कि कोशिश की क्या उप सचिव और निदेशक स्तर के पदों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से विषय विशेषज्ञों (पेशेवरों) को लाने का कोई और प्रस्ताव है?
इन सवालों के जवाब पाने के लिए 'आजतक' ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) में सूचना का अधिकार (RTI) दायर की, जो कर्मियों को शामिल करने का काम करने वाला नोडल विभाग है.
RTI के सवाल पर डीओपीटी का जवाब
सिस्टम में कितने विशेषज्ञ आए? इस सवाल का जवाब देते हुए डीओपीटी ने कहा, “इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है. सरकार ने वर्ष 2018-19 के दौरान संयुक्त सचिवों के दस पदों पर लेटरल भर्ती करने का निर्णय लिया है. सितंबर 2019 में संबंधित मंत्रालयों/विभागों में आठ संयुक्त सचिवों की नियुक्ति की गई. इनमें से सात वर्तमान में स्थिति में हैं.
कुल मिलाकर DoPT ने हमारे द्वारा उठाए गए अन्य सवालों का सीधे जवाब नहीं दिया और उन्हें कई अन्य विभागों/मंत्रालयों को भेज दिया. हालांकि, अन्य विभागों/मंत्रालयों को सीधे हमें (आजतक) जवाब देने के लिए कहा. लेकिन DoPT ने भविष्य के प्रस्तावों के बारे में हमारे सवाल का जवाब दिया. जिसमें कहा गया कि "यूपीएससी को निदेशक/डीएस स्तरों पर लेटरल भर्ती के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है."
ऐसा लगता है कि जहां सरकार ने आईएएस अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए लेटरल भर्ती के माध्यम से 10 संयुक्त सचिवों को लाने की कोशिश की, वहीं सितंबर 2019 तक वह सिर्फ 8 की नियुक्त करने में सफल रही और उनमें से केवल सात अभी कार्यरत हैं.
क्या है लेटरल भर्ती?
आसान भाषा में समझें तो लेटरल एंट्री के जरिए UPSC की परीक्षा पास किए बिना भी ब्यूरोक्रेसी में उच्च पद पर नियुक्ति मिल सकती है. बता दें कि कुछ समय पहले यूपीएससी ने लेटरल एंट्री से पदों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर हो गई. विपक्ष इसे ब्यूरोक्रेसी में पिछले दरवाजे से अपने लोगों को दाखिल कराने की सरकार की चाल बता रहा है.
पांच संयुक्त सचिवों की लिस्ट
1- भूषण कुमार, मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग एंड वाटरवेज में मरीन इंजीनियर इन बारबर शिप मैनेजमेंट (कैटेगरी- ओबीसी)
2- सुजीत कुमार वाजपेयी, मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट & क्लाइमेट चेंज में DGM ऑफ NHPC (कैटेगरी- मेंशन नहीं)
3- राजीव सक्सेना, डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक अफेयर्स (कैटेगरी- मेंशन नहीं)
4- सुमन प्रसाद सिंह, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे में दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (कैटेगरी- जनरल)
5- अंबर दुबे, मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एवीएशन (कैटेगरी- जनरल)