
गणतंत्र दिवस परेड में पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु को शामिल नहीं किए जाने के फैसले पर विवाद होने के बाद अब केंद्र सरकार ने इस पर सफाई दी है.
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने गणतंत्र दिवस परेड में उनके राज्य की झांकी को बाहर किए जाने पर चिट्ठी लिखी है. इसे गलती से क्षेत्रीय गौरव से जुड़ दिया गया है और फैसले को केंद्र सरकार द्वारा राज्य के लोगों के अपमान के रूप में पेश किया गया है. यही स्क्रिप्ट हर साल दोहराई जाती है.
केंद्र ने झांकी विवाद पर दी सफाई
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्यों के मुख्यमंत्री एक गलत मिसाल पेश कर रहे हैं. इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र और राज्यों के बीच एक प्रक्रिया के तहत लिए गए फैसलों के परिणाम को फ्लैशपॉइंट के रूप में चित्रित किया है. यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने में एक रास्ते का काम करेगा. शायद मुख्यमंत्रियों का अपना कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है इसलिए उन्हें साल-दर-साल गलत सूचना का इस्तेमाल करते हुए उसी पुरानी चाल का सहारा लेना पड़ रहा है.
सरकार नहीं करती झांकी पर फैसला: केंद्र
केंद्र सरकार की तरफ से झांकियों के चयन को लेकर कहा गया है, मोदी सरकार झांकी पर फैसला नहीं करती है. विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकी प्रस्तावों का मूल्यांकन कला, संस्कृति, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि के क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोगों की विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक सीरीज में किया जाता है. विशेषज्ञ समिति प्रस्तावों की जांच करती है और अपनी सिफारिशें करने से पहले विषय, अवधारणा, डिजाइन और दृश्य प्रभाव का आधार तय करती है.
सरकार की तरफ से आगे कहा गया है कि समय की कमी के कारण, केवल कुछ प्रस्तावों को ही स्वीकार किया जा सकता है. उदाहरण के लिए गणतंत्र दिवस परेड 2022 के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. इन 56 में से 21 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. समय की कमी को देखते हुए स्वीकृत प्रस्तावों की तुलना में ज्यादातर प्रस्तावों को अस्वीकार करना स्वाभाविक है. केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और उचित विचार-विमर्श के बाद खारिज कर दिया था.
केंद्र सरकार ने जोर देते हुए कहा है कि यह ध्यान देना चाहिए की केरल के झांकी प्रस्तावों को 2018 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था. इसी तरह तमिलनाडु की झांकियों के प्रस्तावों को 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अपमान का सवाल ही नहीं: केंद्र
केंद्र सरकार ने अपनी सफाई में कहा है कि यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2016, 2017, 2019 और 2021 में मोदी सरकार के तहत पश्चिम बंगाल के झांकी प्रस्तावों को उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था.
इसके अलावा, सीपीडब्ल्यूडी की इस वर्ष की झांकी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस शामिल हैं, इसलिए किसी के अपमान का प्रश्न ही नहीं उठता है.
बता दें कि इन राज्यों ने राजपथ पर होने वाले परेड में झांकी को शामिल नहीं किए जाने पर उसे राज्य के अस्मिता से जोड़ा था और इसे क्षेत्रीय परंपरा और गौरव के खिलाफ बताया था. ममता बनर्जी ने इस साल नेताजी सुभाषचंद्र बोस वाली झांकी को शामिल नहीं किए जाने पर अपमान करार दिया था.
ये भी पढ़ें: