
डॉक्टर्स को 'धरती पर भगवान का रूप' कहा गया है. कोरोना काल में डॉक्टर्स ने इस बात को चरितार्थ भी किया. कई-कई दिन तक लगातार काम करके उन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान की परवाह भी नहीं की. फिर भी कभी-कभी लोगों के डॉक्टर्स के साथ बदतमीजी करने या उनके साथ हिंसक व्यवहार करने की खबरें आती हैं, जो मन को विचलित करती हैं. अब केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इस पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है और इसके लिए कुछ कड़े नियम बनाए हैं.
अगर की हिंसा, तो नहीं मिलेगा इलाज
केन्द्र सरकार और एनएमसी ने जो नए नियम बनाए हैं, उसमें प्रावधान है कि अगर डॉक्टरों के साथ मारपीट, गाली गलौज, हिंसक वारदात या बदतमीजी की जाती है, तो वह संबंधित मरीज का इलाज करने से इंकार कर सकता है. यानी मरीज या उसके परिजनों की ओर से असंतुष्ट लोगों का डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार उन्हें भारी पड़ सकता है. प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को इसकी अनुमति देने के लिए आयोग पंजीकृत मेडिकल चिकित्सक पेशेवर आचार संहिता 2022 में ये प्रस्ताव शामिल करने जा रहा है.
जारी किया नए नियमों का मसौदा
आयोग के एथिक्स और मेडिकल पंजीकरण बोर्ड ने नए नियमों के इस मसौदे को सार्वजनिक कर दिया है. इस पर सभी पक्षकारों और स्टेक होल्डर्स से सुझाव एवं टिप्पणियां मांगी गई हैं. देशभर में अस्पतालों और क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के साथ आए दिन दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आने से चिंतित आयोग चाहता है कि आगे से ऐसा करने से पहले लोग 10 बार सोचें.
फीस नहीं देने पर भी कर सकते हैं इलाज से इनकार
एनएमसी के नए प्रस्ताव के मुताबिक फीस नहीं देने पर भी डॉक्टर्स इलाज करने से मना कर सकते हैं. हालांकि यह नियम सरकारी सेवा और आपात सेवा में लगे डॉक्टरों पर लागू नहीं होगा. मसौदे में ये भी कहा गया है कि डॉक्टर इलाज के बिना मरीजों को लौटाया ना जाए, ऐसा सुनिश्चित करें. एनएमसी से जुड़े सूत्रों ने ये जानकारी भी दी कि डॉक्टरों को अब अपने प्रिस्क्रिप्शन पर बोर्ड से मिली रजिस्ट्रेशन आईडी भी देनी होगी.
मरीज मांग सकते हैं मेडिकल रिकॉर्ड
नए नियमों में किसी मरीज या उसके तीमारदार की ओर से संबंधित डॉक्टर से मेडिकल रिकॉर्ड मांगे जाने पर उसे 7 वर्किंग डे में उपलब्ध कराने का प्रावधान है. वर्तमान में दस्तावेज 72 घंटे के भीतर मुहैया कराने का प्रावधान है हालांकि चिकित्सा आपात स्थिति में मेडिकल रिकॉर्ड उसी दिन उपलब्ध कराना होगा.