
केंद्र सरकार के ऑपरेशन प्रहार (Operation Prahar) का बड़ा असर देखने को मिल रहा है. नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या कम हो गई है. अब 12 से घटकर सिर्फ 6 जिले ही नक्सल प्रभावित बचे हैं.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि नक्सलवाद-मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. भारत ने वामपंथी उग्रवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटाकर मात्र 6 कर एक नया मील का पत्थर हासिल किया है.
शाह ने X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा, मोदी सरकार नक्सलवाद के प्रति ruthless approach और सर्वांगीण विकास के लिए अथक प्रयासों के साथ सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण कर रही है. भारत, 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के प्रति कटिबद्ध है.
देश में नक्सलवाद से प्रभावित कुल ज़िलों की संख्या 38 थी, इसमें अति प्रभावित ज़िलों की संख्या 12 थी, जो घटकर 6 हो गई. District of Concern की संख्या 9 थी, जो घटकर 6 हो गई और Other LWE-affected Districts की संख्या 17 थी, यह भी घटकर 6 हो गई है.
नक्सलवाद से कुल प्रभावित जिलों में से अति प्रभावित 12 जिले घटकर अब 6 रह गए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के 4 जिले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का 1 (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का भी 1 जिला (गढ़चिरौली) शामिल है.
इसी तरह कुल 38 प्रभावित जिलों में से District of Concern, जहां अतिप्रभावित जिलों के अतिरिक्त संसाधनों को सघन रूप से मुहैया कराने की आवश्यकता है, उसकी संख्या 9 से घटकर 6 रह गई है. ये 6 जिले हैं- आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू), मध्य प्रदेश (बालाघाट), ओडिशा (कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी) और तेलंगाना (भद्राद्रि-कोठागुडेम).
नक्सलवाद के खिलाफ लगातार कार्रवाई के कारण Other LWE-affected Districts की संख्या भी 17 से घटकर 6 रह गई है, जिनमें, छत्तीसगढ़ (दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी), झारखंड (लातेहार), ओडिशा (नुआपाड़ा) और तेलंगाना (मुलुगु), शामिल हैं.
अतिप्रभावित जिलों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न जिलों को भारत सरकार द्वारा एक विशेष योजना , विशेष केन्द्रीय सहायता (SCA) के तहत सार्वजनिक बुनियादी ढांचों में व्याप्त अंतराल को भरने के लिए क्रमशः 30 करोड़ एवं 10 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है और इसके अलावा इन जिलों के लिए आवश्यकतानुसार विशेष प्रोजेक्ट का भी प्रावधान है.
पिछले एक साल में वामपंथ उग्रवाद परिदृश्य में तीव्र गति से हुए उल्लेखनीय सुधार का प्रमुख कारण है- उग्रवाद प्रभावित कोर क्षेत्रों में नए सुरक्षा कैम्पों की स्थापना और विकासोन्मुखी कार्यों जैसे सड़कों का विस्तार, परिवहन की सुविधा, पानी, बिजली एवं शासन की अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की ग्रामीणों तक पहुंच बढ़ना है.