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सुप्रीम कोर्ट में बोले सॉलिसिटर जनरल- सेंट्रल विस्टा सरकारी धन की बर्बादी नहीं बचत है

नई संसद और सचिवालय परिसर यानी सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस परियोजना की खासियत बताई.

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी होगी सुनवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर) सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी होगी सुनवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:53 AM IST
  • SC में सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ लगी याचिका
  • सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा सरकार का पक्ष
  • इस मामले में बुधवार को भी जारी रहेगी कोर्ट की सुनवाई

नई संसद और सचिवालय परिसर यानी सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस परियोजना की खासियत बताई.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये योजना और निर्माण घाटे का सौदा या सरकारी खजाने की बर्बादी नहीं बल्कि इसके जरिए धन के सदुपयोग से हर साल डेढ़ हजार करोड़ रुपए की बचत होगी. अव्वल तो ये पर्यावरण अनुकूल इमारत होगी, प्राकृतिक ऊर्जा का इस्तेमाल तो होगा ही साथ ही विभिन्न मंत्रालयों के किराए की इमारतों में चल रहे दफ्तर भी अपनी सरकारी इमारत सेंट्रल विस्टा में आ जाएंगे.

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ के सामने याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम दीवान और कपिल सिब्बल की दलीलों का जवाब देते हुए तुषार मेहता ने कहा कि संसद की मौजूदा इमारत सौ साल पुरानी हो गई है. जाहिर है उसमें मौजूदा दौर के मुताबिक सुरक्षा, संरक्षा के उपाय जुगाड़ तकनीक से ही किए गए हैं. इमारत की मजबूती पर भी समय के थपेड़ों का असर पड़ा है.

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तुषार मेहता ने आगे कहा कि जिन लोगों ने इस परियोजना को यहां चुनौती दी है संसद में वही जगह की कमी, सुरक्षा इंतजाम में कमी और व्यवस्था में चूक की बात करते हैं. ऐसे में इस परियोजना को लेकर अलग से किसी स्वतंत्र संस्थान या एजेंसी से उसका आकलन और अध्ययन कराने की जरूरत नहीं है.

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने दो याचिकाएं दाखिल कर याचिकाकर्ताओं ने राजपथ के बगल में स्थित जगह पर प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए भूमि उपयोग नियम में अवैध तरीके से बदलाव करने का आरोप सरकार पर लगाया है. इस परियोजना के तहत संसद भवन सहित सभी मंत्रालय, सचिवालय और अन्य कई दफ्तरों के लिए दस इमारतें बनाई जानी हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर याचिका में उठाए गए सवालों और आरोपों पर जवाब तो मांगा था लेकिन परियोजना कार्य पर स्टे नहीं लगाया. श्याम दीवान ने तीन दिन तक इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर सवाल उठाते हुए सरकार की मंशा को भी कठघरे में खड़ा किया था. मंगलवार को तुषार मेहता ने सबका जवाब दिया. हालांकि बहस बुधवार को भी जारी रहेगी.

 

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