
सेंट्रल विस्टा मामले (Central Vista Project) से जुड़ी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इसे अब आगे 16 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है. इस याचिका में लैंड यूज बदलने के आरोप लगाए गए हैं. प्लॉट एक के लिए जोनल डिवलपमेंट प्लान में बदलाव को चुनौती दी गई है.
इस मसले में केंद्र सरकार ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है. अब याचिकाकर्ता को सरकार के हलफनामे पर हफ्ते भर में जवाब यानि रिजॉइंडर दाखिल करना है.
सेंट्रल विस्टा में चिल्ड्रन रिक्रिएशनल पार्क और हरित क्षेत्र का लैंड यूज बदलने के खिलाफ याचिका पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा है कि सरकार ने ना किसी नियम का उल्लंघन किया है और ना ही बिना संबंधित विभाग की अनुमति के कोई कदम उठाए हैं.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. लैंड यूज को रिक्रिएशनल से आवासीय जमीन करने पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था.
याचिकाकर्ता ने लगाया है भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन का आरोप
याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सेंट्रल विस्टा के प्लाट नंबर एक का इस्तेमाल रिक्रिएशनल सुविधाओं के लिए होना था. लेकिन इसका इस्तेमाल आवासीय के लिए किया जा रहा है. इसके जवाब में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया था. कहा गया था कि वहां राष्ट्रपति भवन है, पास में उपराष्ट्रपति भवन भी बन रहा है. ऐसे में सुरक्षा क्षेत्र में रिक्रिएशनल एरिया संभव नहीं हो सकता है.
याचिका में कहा गया था कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन के माध्यम से दिल्ली के निवासियों को सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए उपलब्ध सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अत्यधिक कीमती, खुले और हरे भरे स्थान से वंचित कर दिया गया है.
आरोप लगाया गया था कि सेंट्रल विस्टा परियोजना से मौजूदा इमारतों को ध्वस्त करने, विरासत भवनों को बदलने और संशोधित करने, प्रतिष्ठित इमारतों को ध्वस्त करने, 1960 के युग की ठोस इमारतों को बदलने, जिला पार्क और बच्चों के मनोरंजन पार्क के रूप में खुली जगहों पर कब्जा करने का प्रयास किया गया है, जो भारत के सभी लोगों से संबंधित हैं. आगे अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है.