
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम रोकने के लिए दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट से सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की है. सुनवाई के दौरान डीडीएमए के आदेश और दिल्ली के हेल्थ बुलिटेन के बारे में बताया गया. रोक लगाने की मांग का सॉलिसिटर जनरल ने विरोध किया.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनहित याचिका "प्रेरित" है, शापूरजी पालनजी समूह के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह का भी कहना है कि यह याचिका भ्रामक है. दोनों वकीलों ने कहा कि मामले को सनसनीखेज बनाने की कोशिश की जा रही है. 180 बसों के लिए अनुमति नहीं थी. आपको 400 निर्माण श्रमिकों के लिए 180 बसों की आवश्यकता नहीं है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि निर्माण के लिए ट्रक व अन्य वाहनों सहित 4 बसों व अन्य वाहनों की अनुमति मांगी गई थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य कोरोना गाइडलाइंस के तहत हो रहा है, जिन्हें सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पसंद नहीं है या वे उसके खिलाफ हैं, किसी भी वजह से, वे लोग तरह तरह के रूप धर के अदालतों में आ रहे हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता का जनहित बहुत ही सिलेक्टिव है, उन्हें दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों की कोई परवाह नहीं है, जो शायद इससे 2 किलोमीटर दूरी पर ही चल रहे हैं. उन्होंने बताया कहा कि डीएमआरसी के प्रोजेक्ट हैं, डीडीए के हाउसिंग प्रॉजेक्ट हैं, प्रगति मैदान प्रोजेक्ट है, लेकिन इनसे किसी को कोई मतलब नहीं है.
अभी सुनवाई जारी है.