
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के आरजी कर हॉस्पिटल की सुरक्षा के लिए CISF की तैनाती के मुद्दे पर मोदी और ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं. गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनिल सुब्रमण्यम ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि अस्पताल और छात्रावासों की सेक्योरिटी के लिए CISF की दो कंपनियां तैनात की गई हैं. हर कंपनी में 92 सुरक्षाकर्मी हैं. विभिन्न रैंक के 184 सुरक्षाकर्मियों में 54 महिलाएं भी हैं.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने 20 अगस्त को आदेश दिया था कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और छात्रावासों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ तैनात की जाएं.
कर्मियों के पास नही हैं उचित सुविधाएं
कोर्ट के आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने तैनाती तो कर दी लेकिन इनके परिवहन और कार्य सक्षमता के लिए अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए कोलकाता पुलिस आयुक्त से 6 बसें, 3 माउंटेड आर्म्ड व्हीकल MAV और 4 ट्रकों के अलावा महिला सुरक्षाकर्मियों के लिए अलग आवास उपलब्ध कराने की गुजारिश की गई है.
इसके अलावा कोलकाता पुलिस से तलाशी के लिए हैण्ड मेटल डिटेक्टर और मेटल डिटेक्टर गेट फ्रेम और संचार उपकरण मुहैया कराने को भी कहा गया है. कर्मियों के पास उचित आवास और बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. अगर उनके अनुरोध और जरूरतों को पूरा नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.
ममता सरकार पर बड़ा आरोप
केंद्र का आरोप है कि महिला सुरक्षाकर्मियों को उचित आवास नहीं मिल पा रहा है, सुरक्षा उपकरण रखने के लिए सही जगह नहीं मिल पा रही है. केंद्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीआईएसएफ को सुविधाएं न देना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है.
ममता सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि वर्तमान जैसी तनावपूर्ण स्थिति में राज्य सरकार से इस तरह का असहयोग अपेक्षित नहीं है. डॉक्टरों और विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पश्चिम बंगाल राज्य के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
सरकार के मुताबिक, 'बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य की निष्क्रियता एक प्रणालीगत अस्वस्थता का लक्षण है, जिसमें कोर्ट के आदेशों के तहत काम करने वाली केंद्रीय एजेंसियों के साथ इस तरह का असहयोग करना सामान्य बात नहीं है. यह माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन है.'
जानबूझकर बाधा पैदा कर रही है ममता सरकार- केंद्र
सरकार ने कहा है कि माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन करना राज्य सरकार का यह कदम न केवल अवमाननापूर्ण है, बल्कि यह उन सभी संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के भी खिलाफ है, जिनका राज्य को पालन करना चाहिए. केंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर बाधाएं उत्पन्न कर रही है.
केंद्र का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर समस्या का समाधान खोजने की दिशा में प्रयास नहीं कर रही है और इसके बजाय, अपने ही निवासियों के साथ अन्याय कर रही है.