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'राजनीतिक सफर में नए साथी की तलाश, 2-3 दिनों में...', बोले चंपाई सोरेन

झारखंड में मुक्ति मोर्चा के बागी नेता चंपाई सोरेन नया अध्याय यात्रा पर हैं. इसके तहत वह लोगों से मिल रहे हैं और अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं. इस बीच वह एक फूटबॉल मैच स्टेडियम में पहुंचे और बड़ी संख्या में लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उनके बेटे भी उनके साथ मौजूद रहे.

चंपाई सोरेन (फाइल फोटो) चंपाई सोरेन (फाइल फोटो)
सत्यजीत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:29 AM IST

झारखंड मुक्ति मोर्चा के सीनियर नेता चंपाई सोरेन बागी तेवर अपनाकर अपने नए अध्याय यात्रा के तहत पांचवें दिन पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत बहरागोड़ा क्षेत्र पहुंचे. यहां उन्होंने फुटबॉल मैच में शामिल होकर एक बड़े जनसमुह को संबोधित किया. समर्थकों से मुलाकात भी की. उन्होंने कहा कि राजनीतिक सफर में नए साथी के तलाश को लेकर अगले दो-तीन दिन में रुख स्पष्ट कर देंगे. चंपाई सोरेन फिलहाल कोलकाता में हैं और सोमवार सुबह दिल्ली आएंगे, जहां वह बीजेपी के आला नेताओं से मुलाकात करेंगे.

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बहरागोड़ा के दूधियाशोल फुटबॉल स्टेडियम में आयोजित हुए लाख के इनामी फुटबॉल प्रतियोगिता में शरीक होकर चंपाई सोरेन ने विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए एकजुट होकर समर्थन मांगा. मौके पर उनके पुत्र सिमल सोरेन, बाबूलाल सोरेन और बबलू सोरेन साथ-साथ मौजूद थे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि नए संगठन बनाने और राजनीतिक सफर में नए साथी के तलाश की विकल्प अगले दो से तीन दिनों में घोषणा कर देंगे.

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पोस्टर से पिता पुत्र ने दिया चुनावी संदेश

सरायकेला जिले से पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा तक कार्यक्रम में शामिल होने उनके साथ काफिले में हजारों लोग शामिल हुए. बहरागोड़ा में मंत्री चंपाई सोरेन के नए अध्याय यात्रा में सैकड़ों की संख्या में काफिले में शामिल कारों में सेवा ही लक्ष्य के पोस्टर में मंत्री चंपाई सोरेन और पुत्र बाबूलाल सोरेन की तस्वीर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय रही.

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पोस्टर के माध्यम से पिता-पुत्र ने सक्रिय तौर पर राजनीति का संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि जनसमर्थन से वो गदगद हैं. जो फैसला करेंगे वो ठोस होगा. उनके स्वभाव से पूरे कोल्हान के लोग वाकिफ हैं. जब वो कुछ ठान लेते हैं तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर रहते हैं. जाहिर है, जेएमएम से बेशक उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया और न ही मंत्री पद छोड़ा है लेकिन उनके तेवर बागी हैं, और जेएमएम से उनकी राहें साफ अलग दिखती हैं.

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जेएमएम से अलग होने वाले नेताओं को नहीं मिला समर्थन

सीता सोरेन, शिबू के लेफ्टिनेंट सूरज मंडल, कृष्ण मार्डी, दुलाल भुइयां, जैसे कई नेता जिन्होंने जेएमएम छोड़ा था उन्हें राजनीतिक सफर में जनसमर्थन नहीं मिल पाया. साथ ही लोबिन हेंब्रम जिनके तेवर बागी थे वो भी बतौर निर्दलीय जेएमएम से अलग होकर ज्यादा अच्छा प्रदर्शन लोकसभा चुनावों में नहीं कर सके थे.

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