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'सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी के लिए नहीं जताई सहमति', चीतों की मौत पर चिंता जताने वाले लेटर से दो एक्सपर्ट्स ने खुद को अलग किया

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र से दो विदेशी एक्सपर्ट्स ने खुद को अलग कर लिया है. शीर्ष अदालत को भेजे गए ईमेल में उन्होंने कहा कि उन्होंने इसके लिए सहमति नहीं जताई थी.

चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी भेजने वाले दो एक्सपर्ट्स ने खुद को अलग किया (फाइल फोटो) चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी भेजने वाले दो एक्सपर्ट्स ने खुद को अलग किया (फाइल फोटो)
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र से दो विदेशी एक्सपर्ट्स ने खुद को अलग कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए ईमेल में चीता एक्सपर्ट विंसेंट वान डी मेरवे और डॉ. एंडी फ्रेजर ने कहा कि यह पत्र उनकी सहमति के बिना भेजा गया था. उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट को भेजे जाने वाले ऐसे पत्र के समर्थन में नहीं हैं. 

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उन्होंने कहा कि हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में अपना नाम देखकर वह हैरान थे. जिनमें दावा किया गया है कि चीता प्रोजेक्ट के साउथ अफ्रीका और नामीबिया के चार एक्सपर्ट्स ने चीतों की मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.  

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ईमेल में क्या कहा गया? 

सुप्रीम कोर्ट को 20 जुलाई को भेजे गए ईमेल को एक्सपर्ट विंसेंट वान डी मेरवे ने संबोधित किया है. इसमें दूसरे एक्सपर्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई एक्सपर्ट कमेटी का सदस्य बताया गया है. ईमेल में कहा गया है, "हमें पता चला है कि एक पत्र प्रसारित हो रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट को प्रोजेक्ट चीता के बारे में हमारी चिंताओं को दर्शाता है. कृपया जान लें कि डॉ. एंडी फ्रेजर और मैं सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए इस पत्र का समर्थन नहीं कर रहे थे."  

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ईमेल के जरिए एक्सपर्ट्स ने अपील की है कि पत्र को मीडिया या सुप्रीम कोर्ट के साथ साझा न किया जाए और इसे वापस ले लिया जाए. इसके अलावा यदि यह संभव नहीं है तो उनके नाम पत्र से हटा दिए जाएं.  

चिट्ठी से प्रोजेक्ट को लगेगा धक्का: एक्सपर्ट्स

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में चीता के सफल प्रोजेक्ट के लिए निगेटिव प्रेस बड़ा खतरा बन रहा है. इसके अलावा इससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले कूनो कर्मचारियं और प्रोजेक्ट में शामिल लोगों पर भारी दबाव पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि अधिक चिंता की बात यह है कि इससे अफ्रीका से चीतों को अफ्रीका से लाना और भी मुश्किल हो जाएगा, जोकि प्रोजेक्ट की सफलता और आगे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा.  

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पत्र में क्या कहा गया था? 

इस पत्र में चार एक्सपर्ट्स ने कहा था कि साउथ अफ्रीका और नामीबिया से भारत में 20 चीतों का ट्रांसफर करने को लेकर उन्हें अंधेरे में रखा गया. उन्होंने चिट्ठी में कहा था, "कुछ चीतों की मौत को बेहद कड़ी निगरानी और उचित समय पर मेडिकल सुविधाएं देकर रोका जा सकता था. यदि समय पर एक्सपर्ट डॉक्टर्स को बुलाया जाता और स्थिति को 'अनदेखा' नहीं किया जाता और सिर्फ विंडो ड्रेसिंग नहीं की जाती." साउथ अफ्रीका के पशु चिकित्सा वन्यजीव एक्सपर्ट डॉ. एड्रियन टॉर्डिफ ने अपने सहयोगियों विंसेंट वैन डेर मेरवे, डॉ. एंडी फ्रेजर और डॉ. माइक टॉफ्ट की ओर से एक पत्र पर हस्ताक्षर कर उसे सुप्रीम कोर्ट भेज दिया था.  

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केंद्र ने क्या कहा है? 

पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी पत्र का संदर्भ दिया है और सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दो विशेषज्ञों ने दस्तावेज में लगाए गए आरोपों का खंडन किया है और उनके नाम के इस्तेमाल पर नाराजगी व्यक्त की है.  

कूनो में एक और चीते की मौत  

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बीते बुधवार को एक और चीते की मौत हो गई, जिसके बाद मार्च महीने से अबतक 9 चीतों की जान जा चुकी है. बता दें कि देश में जंगली प्रजाति के विलुप्त होने के 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर लाया गया है. प्रोजेक्ट चीता के तहत सितंबर 2022 और फरवरी 2023 में दो बैचों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था. मार्च के बाद इनमें से छह व्यस्क चीतों की मौत हो गई, जबकि मई में नामीबिया से लाई गई मादा चीता से पैदा हुए चार शावकों की गर्मी की वजह से मौत हो गई.  

 

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