Advertisement

छत्तीसगढ़: जानवर-इंसान संघर्ष में 500 से ज्यादा मौतें, जानिए इसके पीछे कौन सी वजहें जिम्मेदार

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019 से 2023 के बीच सूबे में जंगली जानवरों के हमलों में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि 84 लोग घायल हुए हैं. दरअसल, इस दौरान फसलों को नुकसान पहुंचाने की 60 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं.

छत्तीसगढ़ पशु मानव संघर्ष छत्तीसगढ़ पशु मानव संघर्ष
सुमी राजाप्पन
  • रायपुर,
  • 11 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर में दो दिन में जंगली हाथियों के जानलेवा हमले में चार लोगों की जान चली गई, जिनमें से तीन एक ही परिवार के थे. इस घटना के बाद सूबे में मानव-पशु संघर्ष का अहम लेकिन कम चर्चित मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है. छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहने वाले आदिवासी लोगों की मौतों के पीछे एक बड़ी वजह पशु-मानव संघर्ष है. दरअसल, सरगुजा संभाग के अंबिकापुर में ही हाथियों ने 40 लोगों को मार डाला है. ये लोग संवेदनशील गांवों में घुस आते हैं.

Advertisement

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019 से 2023 के बीच सूबे में जंगली जानवरों के हमलों में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि 84 लोग घायल हुए हैं. दरअसल, इस दौरान फसलों को नुकसान पहुंचाने की 60 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं.

हर साल 50 से ज्यादा लोगों की मौत

छत्तीसगढ़ के वन्यजीव विभाग के सूत्रों के मुताबिक, पिछले 11 साल में इस तरह के जंगली जानवरों के हमलों में करीब 595 लोग मारे गए हैं, जिसमें हर साल औसतन 54 लोग मारे जाते हैं. 2021-22 में यह संख्या 95 है, 2022-23 में मरने वालों की संख्या 77 है और 2023-24 में यह संख्या फिर से 77 है. 2024 में अब तक करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. तादाद बढ़ने के साथ, इस घातक समस्या के पीछे की असल वजहों पर गहराई से विचार करना अहम है, जिसे कोई भी सरकार हल नहीं कर सकती.

Advertisement

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा में मुठभेड़ के बाद नक्सली ढेर, इस साल अब तक 143 का हो चुका है खात्मा

इस तरह के हादसों के पीछे कई वजहें जिम्मदार हैं. इन मुठभेड़ों के पीछे एक अहम वजह उनके अपने आवासों, जंगलों में भोजन की अत्यधिक कमी है. स्थानीय वनस्पति वन्यजीवों के लिए पोषक तत्वों का मुख्य स्रोत है. हालांकि, दुर्भाग्य से अब इसे ‘लैंटाना कैमरा (Lantana Camera)’ नाम के एक आक्रामक पौधे की प्रजाति ने बदल दिया है. छत्तीसगढ़ के जंगल ऐसे खाद्य स्रोतों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे वन्यजीव भोजन के लिए मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे इन संघर्षों में योगदान मिल रहा है.

सैकड़ों साल पहले लगाए गए थे सजावटी पौधे

लैंटाना कैमरा जैसी प्रजातियों को करीब 200-250 साल पहले सजावटी पौधे के रूप में लाया गया था. भारत के शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में साल भर हरियाली के लिए बड़े पैमाने पर प्रचारित की जाती हैं. लगभग बिना किसी पोषक तत्व वाली ये विदेशी हरियाली, इलाके में उगने वाले प्राकृतिक घास के मैदानों को भी सीमित करती है, जिससे जंगली शाकाहारी जानवरों को पौधों की प्रजातियों को खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, या फिर अपनी आहार संबंधी आदतों को पूरी तरह से बदलना पड़ता है और भोजन की तलाश में वन इलाकों से बाहर निकलना पड़ता है, जिससे मानव-पशु संघर्ष बढ़ता है.

Advertisement

छत्तीसगढ़ सहित अन्य वन आच्छादित राज्य जैसे असम, केरल, कर्नाटक आदि लैंटाना प्रजाति के विकास से बेहद प्रभावित हैं. यहां तक ​​कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में भी यह प्रजाति तबाही मचा रही है और वन्य जीवन को प्रभावित कर रही है.

इस मूल कारण को पहचानने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग ने इस विदेशी पौधे को कम करने में काम किया है. पिछले पांच साल में छत्तीसगढ़ के जंगलों के 4.41 लाख हेक्टेयर इलाके से लैंटाना खरपतवार को हटाया गया है. मुख्य वन सचिव श्रीनिवास राव कहते हैं, "जंगलों से आक्रामक खरपतवारों को हटाने से जंगलों का पुनर्जनन और उत्पादकता बढ़ती है. जलवायु परिवर्तन की वजह से विशाल उत्पादक वनों पर लैंटाना और अन्य खरपतवारों का आक्रमण हो रहा है. खरपतवारों को हटाने के बाद बेहतरीन घास के मैदान उग आए हैं. इससे जानवरों की मुक्त आवाजाही में सुविधा होती है. वनों की आग से प्रभावित क्षेत्र 50 फीसदी तक कम हो गया है.”

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: नकली होलोग्राम मामले में ईडी को झटका, यूपी STF की कार्रवाई पर SC ने लगाई रोक

कैम्पा (Campa) के सीईओ ओपी यादव कहते हैं, "इससे न केवल जंगलों के प्राकृतिक पुनर्जनन में मदद मिलेगी, बल्कि घास के मैदानों के निर्माण से चीतल, सांभर आदि जैसे शाकाहारी जानवरों के लिए भोजन की उपलब्धता भी बढ़ेगी. इससे इस साल संघर्षों में काफी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप मौतें कम हुई हैं."

Advertisement

जबकि अन्य राज्य संघर्ष कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ एक उदाहरण पेश कर रहा है कि मानव-पशु संघर्ष को जल्द समाप्त करने के लिए लैंटाना में कमी लाना अहम है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement