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25 रुपये से 540 करोड़ की उगाही... छत्तीसगढ़ के कोयला लेवी घोटाले की पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ का कोयला लेवी घोटाला चर्चा में बना हुआ है. सोमवार को ईडी ने कांग्रेस नेताओं से जुड़े दर्जनों ठिकानों पर इस सिलसिले में छापेमारी भी की. ईडी की ये रेड 12 घंटे से ज्यादा चली. इस पर सियासत भी गरमा गई है. ऐसे में जानिए, क्या है छत्तीसगढ़ का कोयला लेवी घोटाला? कैसे 25 रुपये से 540 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई?

ईडी के मुताबिक, दो साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध वसूली की गई. (फाइल फोटो-PTI) ईडी के मुताबिक, दो साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध वसूली की गई. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

Chhattisgarh Coal Levy Scam: 'खदान से कोयला उठाना है, उसके लिए डीएम से एनओसी लेनी होगी, लेकिन उसके पहले हमें हर एक टन कोयले पर 25 रुपये चुका दीजिए. इस तरह से ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से जबरन वसूली की गई. हर दिन दो से तीन करोड़ कमाए. ये पैसा राजनेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों में बांटा गया.' 

बस इतनी सी कहानी है छत्तीसगढ़ के कथित कोयला लेवी घोटाले की. इस सिलसिले में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने ताबड़तोड़ छापे मारे. ये छापे कांग्रेस के कई नेताओं के ठिकानों पर की गई. जानकारी के मुताबिक, ईडी की ये रेड 12 घंटों से ज्यादा चली, जिसमें दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी हुई. 

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सोमवार को ईडी ने जिनके यहां छापेमारी की, उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव समेत कई बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. 

ईडी की ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है, जब कुछ दिन बाद ही रायपुर में कांग्रेस का अधिवेशन होने वाला है. कांग्रेस ने इसे बदले की कार्रवाई बताया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब भी कांग्रेस कुछ करती है, तो एजेंसियां यही करती है. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कांग्रेस से डरी हुई है. जब कांग्रेस ने 'भारत जोड़ो यात्रा' की तब बीजेपी उससे घबरा गई और अब वो कांग्रेस के अधिवेशन से डरी हुई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि वो इसी वजह से सत्ता से बाहर हुई है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां पहले होमवर्क करतीं हैं और वो तभी जांच करती हैं जब उन्हें पर्याप्त सबूत मिलते हैं.

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छत्तीसगढ़ के कोयला लेवी घोटाले का मास्टरमाइंड कारोबारी सूर्यकांत तिवारी है. इस मामले में ईडी ने अब तक सूर्यकांत तिवारी, उसके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, आईएएस अफसर समीर विश्नोई और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया है.

सीएम भूपेश बघेल ने ईडी की छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया है. (फाइल फोटो-PTI)

छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस नेताओं पर ईडी की छापेमारी ने सियासत को और गरमा दिया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ का ये पूरा घोटाला क्या है? कैसे 25 रुपये से 540 करोड़ रुपये की उगाही कर ली गई? 

क्या है पूरा मामला?

- इसकी कहानी शुरू होती है 15 जुलाई 2020 से. राज्य के भूविज्ञान और खनन विभाग ने खदानों से कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए ई-परमिट की ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित किया.

- इस नियम से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी जारी करना जरूरी हो गया. लेकिन ईडी का दावा है कि इसके लिए कोई एसओपी या प्रक्रिया जारी नहीं की गई.

- एक माइनिंग कंपनी खरीदार के पक्ष में कोल डिलीवरी ऑर्डर (CDO) जारी करती है, जिसे तब कंपनी के पास 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से बयाना राशि यानी EMD जमा करनी होती है और 45 दिनों के भीतर कोयला उठाना पड़ता है.

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- ईडी का दावा है कि नए नोटिफिकेशन ने कथित तौर पर माइनिंग कंपनियों को ट्रांसमिट परमिट के लिए एनओसी लेने के लिए सरकार के पास आवेदन करने को मजबूर कर दिया. 

- बगैर एनओसी के परमिट जारी नहीं किया जाता और CDO भी एक्जीक्यूट नहीं होती है. 45 दिन के बाद CDO खत्म हो जाएगी और खरीदार की EMD को भी जब्त कर लिया जाएगा.

- ED की जांच में सामने आया कि माइनिंग डिपार्टमेंट की डॉक्यूमेंट प्रोसेस सही नहीं थी. कई जगहों पर सिग्नेचर नहीं थे. नोट शीट नहीं थी. कलेक्टर या डीएमओ की मनमर्जी पर नाममात्र की जांच करवाकर एनओसी जारी कर दी जाती थी.

- ED के मुताबिक, 15 जुलाई 2022 के बाद बगैर किसी एसओपी के 30 हजार से ज्यादा एनओसी जारी कर दी गईं. इन और आउट का रजिस्टर भी मेंटेन नहीं किया गया. अफसरों की भूमिका भी साफ नहीं थी. ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम भी नहीं था.

ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से वसूली करती थी सूर्यकांत तिवारी की टीम. (फाइल फोटो-PTI)

25 रुपये से 540 करोड़!

- ईडी के मुताबिक, इस पूरे कार्टल को सूर्यकांत तिवारी चलाता था. उसने सीनियर अफसरों की मदद से उगाही का एक नेटवर्क तैयार किया था.

- इसमें हर खरीदार या ट्रांसपोर्ट को डीएम ऑफिस से एनओसी लेने से पहले 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से चुकाना पड़ता था. 

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- इसके लिए उन्होंने कुछ आदमियों को रखा जो इस पैसे को इकट्ठा करते थे. बाद में इन पैसों को किंगपिन, वर्करों, सीनियर आईएएस-आईपीएस अफसरों और राजनेताओं में बांट दिया जाता था. 

- ईडी का अनुमान है कि ऐसा करके हर दिन दो से तीन करोड़ रुपये की उगाही की गई. इस मामले में ईडी ने सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था. लक्ष्मीकांत तिवारी ने कबूल किया है वो हर दिन 1-2 करोड़ रुपये की उगाही करता था.

- ईडी के मुताबिक, इस पूरे खेल में कम से कम 540 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की गई. इस मामले में जनवरी 2023 तक ईडी ने आरोपियों की 170 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी.

हर चीज का रखा जाता था हिसाब-किताब

- ईडी ने बताया की सूर्यकांत तिवारी ने कोयला ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से जबरन पैसे ऐंठने के लिए जमीनी स्तर पर अपनी टीम बना रखी थी.

- उसकी ये टीम निचले स्तर के सरकारी अफसरों और ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों के बीच को-ऑर्डिनेट किया करती थी.

- चूंकि, उसकी ये टीम पूरे राज्य में फैली थी, इसलिए उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप बना रखे थे. कोल डिलीवरी के ऑर्डर और जबरन वसूली की रकम को एक्सेल शीट में रखा जाता था. इसे सूर्यकांत तिवारी के साथ साझा किया जाता था.

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- ईडी का मानना है कि दो साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की जबरन वसूली की गई, इसलिए माना जा सकता है कि इसके पीछे उन लोगों का हाथ रहा होगा, जिनके पास राज्य की मशीनरी को कंट्रोल करने की ताकत थी.

क्या हुआ इस पैसे का?

- ईडी के मुताबिक, सूर्यकांत तिवारी के पास से एक डायरी भी मिली है. इस डायरी में उसने लिखा है कि वो कितना पैसा किसे देता था.

- इस डायरी में लिखा है जबरन वसूली से आए 540 करोड़ में से 170 करोड़ रुपयी की बेनामी संपत्ति खरीदी गई. बेनामी संपत्ति यानी किसी दूसरे नाम से संपत्ति खरीदी गई.

- 52 करोड़ रुपये राजनेताओं को दिए गए. 4 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ के विधायकों को दिए गए. 6 करोड़ रुपये पूर्व विधायकों में बांटे गए. इसके अलावा 36 करोड़ रुपये अफसरों में बंटे.

हर दिन 2-3 करोड़ रुपये की वसूली होती थी. (फाइल फोटो-PTI)

ED ने किन-किनको आरोपी बनाया?

- सूर्यकांत तिवारीः इसे ही पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. जबरन वसूली के लिए इसी ने नेटवर्क तैयार किया था.

- सौम्या चौरसियाः छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी. इनकी साढ़े 7 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त हो चुकी है.

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- लक्ष्मीकांत तिवारीः सूर्यकांत तिवारी के चाचा. कबूला है कि हर दिन 1-2 करोड़ की उगाही करते थे. सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और मां कैलाश तिवारी भी आरोपी हैं.

- समीर विश्नोईः 2009 बैच के आईएएस अफसर हैं. समीर और उनकी पत्नी के पास 47 लाख कैश और 4 किलो सोने की जवाहरात मिले थे. 

- सुनील अग्रवालः इंद्रमाणी ग्रुप के मालिक. कोयला कारोबारी हैं. ईडी के मुताबिक, सूर्यकांत तिवारी के बड़े कारोबारी दोस्त हैं. 

इन सबके अलावा माइनिंग अफसर शिव शंकर नाग, संदीप कुमार नायक और राजेश चौधरी भी आरोपी हैं. लक्ष्मीकांत तिवारी के रिश्तेदार मनीष उपाध्याय को भी आरोपी बनाया गया है.

कांग्रेस का क्या है कहना?

- ईडी की छापेमारी को कांग्रेस ने 'राजनीतिक बदले की कार्रवाई' बताया है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये पूरी तरह से बदले की कार्रवाई है और इससे पार्टी डरने वाली नहीं है.

- वेणुगोपाल ने कहा, 'हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं. ये मत सोचना कि हम बीजेपी या प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर डर जाएंगे. हम कानून के हिसाब से लड़ेंगे. आप देख सकते हैं कि कैसे अधिवेशन से पहले ये सब ड्रामा किया जा रहा है.'
 
- वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसे 'राजनीति से प्रेरित' कार्रवाई बताया. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी कांग्रेस से डर गई है और अपने राजनीतिक विरोधियों की आवाज को दबाने को लेकर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहीं हैं.

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