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छावला रेप केस: सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर को सुना सकती है फैसला, आरोपियों ने पीड़िता की आंखों में डाला था तेजाब

दिल्ली की अदालत ने मामले में 19 साल की युवती से रेप और हत्या के दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले को सही मनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी. इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी.

सुप्रीम कोर्ट में आरोपियों ने दायर की थी याचिका सुप्रीम कोर्ट में आरोपियों ने दायर की थी याचिका
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST

Chhawla Rape Case: उत्तराखंड के छावला रेप केस में 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट तीन दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा के मामले पर 7 नवम्बर को फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्य्क्षता वाली बेंच मामले में अहम फैसला सुनाएगी. दरअसल, दिल्ली की अदालत ने मामले में 19 साल की युवती से रेप और हत्या के दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले को सही मनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी. इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी.   

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बता दें कि यह मामला उत्तराखंड के पौड़ी में रहने वाली 19 साल की युवती के अपहरण के बाद दरिंदगी और हैवानियत का है. जिसमें अभियुक्‍तों ने उसके साथ रेप के बाद आंखों में तेजाब तक डाल दिया था. रोंगटे खड़े कर देने वाली यह घटना साल 2012 की है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने तीनों दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की है.

ये है पूरा मामला

14 फरवरी 2012 को उत्तराखंड की 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी. उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी तो परिजन चिंतित हुए. घबराए परिजनों ने उसकी काफी तलाश की. लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए थे. इसके बाद अभियुक्त गिरफ्तार किए गए. 

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पीड़िता के क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया था, जिससे यह भी सामने आया था कि अभियुक्‍तों ने अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए कार टूल्‍स के तौर पर इस्‍तेमाल उपकरणों से उस पर हमला किया था. इसके बाद आरोपियों पर मुकदमा चला और कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई. अब सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले पर अंतिम निर्णय देगा.

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