
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी को पारदर्शिता बनाने का निर्देश दिया था. अदालत के इस फैसले पर शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने प्रतिक्रिया दी है और कहा कि चुनाव आयोग उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन करेगा. हालांकि, चुनाव आयोग हमेशा पारदर्शिता के साथ खड़ा रहा है.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग चुनावी बांड योजना के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही काम करेगा. चुनाव आयोग हमेशा सूचना प्रवाह और भागीदारी में पारदर्शिता के आधार पर काम करता रहा है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे बताया हमने शीर्ष अदालत को दिए अपने हलफनामे में कहा कि, आयोग हमेशा पारदर्शिता के पक्ष में है और जब आदेश जारी किया जाएगा तो वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगा.
'अदालत के निर्देशों पर करेंगे काम'
वहीं, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के बिना चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार है. फैसला आने दीजिए, जरूरत पड़ी तो अदालत के निर्देश के मुताबिक बदलाव किए जाएंगे.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है.
बता दें कि अदालत ने अपने फैसले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वो खरीदे गए सभी इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा चुनाव आयोग के साथ शेयर करे. साथ ही बॉन्ड खरीदने की तारीख, बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और उसकी वैल्यू. इसके अलावा किस राजनीतिक दल ने उस बॉन्ड को भुनाया है. ये सभी डेटा बैंक को चुनाव आयोग को 12 अप्रैल, 2019 से अब त खरीदे गए सभी बॉन्ड का विवरण साझा करना होगा.