
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी में लोगों को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान कहा कि चुनाव संवैधानिक लोकतंत्र का मूल आधार हैं, भारत में न्यायाधीशों का चुनाव नहीं होता. इसके पीछे एक वजह है कि जज परिस्थितियों की निरंतरता, संवैधानिक मूल्यों की निरंतरता की भावना को प्रतिबिंबित करते हैं.
'यह राजनीतिक दबाव नहीं...'
डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम सरकार की राजनीतिक पार्टी से अपेक्षाकृत अलग-थलग जीवन जीते हैं, लेकिन जाहिर है कि न्यायाधीशों को उनके फैसलों से राजनीति पर पड़ने वाले असर से परिचित होना चाहिए. यह राजनीतिक दबाव नहीं है, बल्कि न्यायालय द्वारा किसी फैसले के संभावित प्रभाव की समझ है.
समलैंगिक विवाह के फैसले पर क्या बोले चंद्रचूड़?
समलैंगिक विवाह पर बात करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मैं यहां फैसले का बचाव नहीं कर रहा हूं, क्योंकि एक जज के रूप में, मेरा मानना है कि एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद, यह न केवल देश की बल्कि वैश्विक मानवता की संपत्ति बन जाता है. स्पेशल मैरिज एक्ट संसद द्वारा बनाया गया एक कानून था, जो विषमलैंगिक संबंध में विवाह की परिकल्पना करता है.
चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरे तीन सहकर्मी हमसे सहमत नहीं थे. उन्हें लगा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देना भी कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. हमें न्याय की प्रक्रिया और कानून के प्रशासन को लोगों के घरों और दिलों तक ले जाने की जरूरत है.
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AI के उपयोग पर CJI की चेतावनी
डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा ने टोक्नोलॉजी और AI पर बात करते हुए कहा कि यह अहम है कि हम न्याय के मानवीय तंत्र को सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग के पक्ष और विपक्ष को समझें और महत्व दें. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य के लिए असीम संभावनाओं से भरा हुआ है. हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंट्रोल करने के लिए सुरक्षा उपाय लागू करें और संचार की प्रक्रिया को जज से रोबोट में शिफ्ट न करें.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'मेरा मानना है कि आधुनिक लोकतंत्र में समाज को और अन्य तरीकों से बहुत कुछ करना पड़ता है. समाज में उठने वाले हर मुद्दे या विवाद को सुलझाने के लिए आप कोर्ट की तरफ नहीं देख सकते.'
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उन्होंने आगे कहा कि यह अहम है कि जज के रूप में हम एक लाइन निर्धारित करें और तय करें कि वैध रूप से हमारे अधिकार क्षेत्र में क्या आता है और वैध रूप से समाज के अन्य अंगों, जिसमें नागरिक समाज भी शामिल है, का क्या आता है.