
डोकलाम विवाद के समय भारत से मिली कड़ी चुनौती से सबक लेते हुए चीनी सेना अपने आप को मजबूत करने में जुट गई है. नई जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने भारतीय सेना के खिलाफ अपनी तैयारी बेहतर करने के लिए कई मिलिट्री कैंप बनाए हैं.
आजतक से बात करते हुए शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि चीनी सेना ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के गहराई वाले इलाकों में 20 से ज्यादा मिलिट्री कैंप बनाए हैं. इस मिलिट्री कैंप बनाने के पीछे उनका उद्देश्य भारत के खिलाफ अपनी तैयारियों को ज्यादा मजबूत करना है. शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक यह कैंप, भारत के साथ तनातनी के बाद बनाया गया है, जिसमें मिलिट्री से संबंधित सभी आवश्यक वस्तुएं रखी गई हैं.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के बीच मई से सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों की सेनाओं ने एलएसी के पास बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात किया है. इस गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.
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अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने लद्दाख में भारतीय सीमा के पास चीन की जारी निर्माण गतिविधियों संबंधी खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि ये खबरें सही हैं, तो यह चीन की ओर से 'उकसाने वाला कदम' है और यह दक्षिण चीन सागर में जारी बीजिंग की गतिविधियों जैसा ही है.
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, 'यदि यह (खबरें) सही है, तो यह चीनी सेना का जमीनी तथ्यों को बदलने के लिए उकसाने वाला एक और कदम होगा.' उन्होंने कहा कि यह दक्षिण चीन सागर में उसके (चीन के) व्यवहार की तरह है, जहां वह द्वीप बना रहा है और जहां वह तथ्यों को बदलने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन की निर्माण गतिविधियों की सूचना देने वाले स्रोतों में उपग्रह से ली गई तस्वीरें भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, 'मुझे यह कहना होगा कि अमेरिकी संसद और ट्रंप प्रशासन एवं आगामी बाइडन प्रशासन हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे भारतीय साझेदारों के साथ खड़े हैं.' सांसद ने आगे कहा कि भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का मालाबार अभ्यास इस बात का संकेत है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करेंगे.