
पूर्वी लद्दाख में जब से दोनों भारतीय और चीनी सेना कुछ कदम पीछे हटी हैं, स्थितियां फिर सामान्य होने लगी हैं. अब उन सामान्य होती स्थितियों का जायजा लेने के लिए आर्मी चीफ मनोज पांडे कल लद्दाख दौरे पर जा रहे हैं. अभी तक उनके दौरे को लेकर ज्यादा जानकारी तो सामने नहीं आई है, लेकिन इसे काफी अहम माना जा रहा है.
पूर्वी लद्दाख में तनाव हुआ कम
जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही चीन और भारत के बीच में 16वीं बैठक हुई थी. गलवान घटना के बाद से लगातार ही तनाव कम करने के लिए ये बैठकें की गईं. अब 16वीं बैठक में इस बात पर सहमति बन गई कि दोनों भारतीय और चीनी सेना फ्रिक्शन प्वाइंट से पीछे हटेंगी. तनाव कम करने के लिए ये फैसला लिया गया. यहां ये जानना जरूरी है कि एकदम से किसी की भी सेना वहां से नहीं हटने वाली है. लेकिन एक तय रणनीति के तहत धीरे-धीरे दोनों तरफ से सेना को पीछे किया जाएगा. बड़ी बात ये है कि इस तरह की डेवलमेंट तब देखने को मिल रही है जब अगले हफ्ते SCO समिट की अहम बैठक होने वाली है. उस बैठक में भारत और चीन दोनों हिस्सा ले रहे हैं. खबर तो ऐसी भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं.
सेनाओं में बांटी जाएंगी जिम्मेदारियां
वैसे भारत चीन के खिलाफ एक नई रणनीति पर भी काम कर रहा है. इस रणनीति के तहत सैनिकों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है और जवानों का 'पुनर्संतुलन' स्थापित करने पर भी जोर दिया जा रहा है. एक सैन्य अधिकारी ने बताया है कि इस समय बॉर्डर एरिया में सड़क निर्माण, ब्रिज बनाने पर ज्यादा फोकस दिया जा रहा है. इसके अलावा आरएएलपी क्षेत्र (शेष अरुणाचल प्रदेश) में सैनिकों को तुरंत लामबंद करने के लिए भी जरूरी सैन्य ढांचे को विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा अब सेनाओं के काम को भी बांटने पर जोर दिया जा रहा है. एक तरफ थल सेना को बॉर्डर एरिया पर चीन के खिलाफ तैनात किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ असम राइफल्स उग्रवाद विरोधी सभी अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएगी. जानकारी ये भी मिली है कि ऊपरी दिबांग घाटी में सड़क निर्माण के साथ-साथ हेलीपैड और दूसरे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं.