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ड्रैगन की नई चालः सीमावर्ती ग्रामीणों को दे रहा मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग, डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में जुटा

चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित इन गांवों को 2021 के अंत तक तिब्बत के अन्य शहरों से हाईवे के जरिए जोड़ने की योजना पर भी काम कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि चीन इस तरीके से सरहद के नजदीक स्थित गांवों में अपनी रणनीतिक पोजिशन को मजबूत करने के लिए डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा है.

भारत से लगती सीमा पर 600 गांव बसा रहा चीन भारत से लगती सीमा पर 600 गांव बसा रहा चीन
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:21 PM IST
  • इन गांवों के आधुनिकीकरण में जुटा चीन
  • 600 गांव बसाकर कर रहा मजबूत

गलवान घाटी में भरतीय सेना के पराक्रम से पस्त हुए अभी एक साल भी नहीं बीते हैं कि चीन फिर चालबाजी में जुट गया है. सूत्रों के मुताबिक चीन अपने सीमावर्ती गांवों में डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में जुटा है. इस बार चीन, भारत के साथ लगती सीमा के करीब स्थित तिब्बत के गांवों में सिर्फ डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में ही नहीं जुटा है, बल्कि वह इन गांवों में रहने वाले लोगों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग और अन्य अन-आर्म्ड लड़ाई के गुर भी सिखा रहा है.

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सूत्रों की मानें तो चीन, भारत की सीमा के करीब स्थित 600 गांवों को फिर से बसाकर उन्हें मजबूत बनाने में जुटा हुआ है. चीन जिन 600 गांवों को सरहद के करीब फिर से बसा रहा है, उन गांवों में आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अपनी डिफेंस पोस्ट, डिफेंस टॉवर भी मजबूत कर रही है.

यही नहीं चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित इन गांवों को 2021 के अंत तक तिब्बत के अन्य शहरों से हाईवे के जरिए जोड़ने की योजना पर भी काम कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि चीन इस तरीके से सरहद के नजदीक स्थित गांवों में अपनी रणनीतिक पोजिशन को मजबूत करने के लिए डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा है.

सूत्रों का यह भी कहना है कि इन गांवों के आधुनिकीकरण के पीछे चीन की रणनीति अपने डिफेंस और ह्यूमन इंटेलीजेंस को मजबूत करने की है. गौरतलब है कि साल 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना के हाथों मुंह की खाने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हरकत में आए थे और उन्होंने तभी तिब्बत से जुड़े बॉर्डर के इलाके में 'बॉर्डर डिफेंस विलेज' बनाने की शुरुआत की थी. सूत्रों की मानें तो चीन का अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब गांव बसाने के पीछे मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा 'सुरक्षा बैरियर' बनाना है जो अभेद्य किले की तरह काम करे.

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चीनी राष्ट्रपति के निर्देश पर साल 2017 में तिब्बत सीमा पर 600 अत्याधुनिक बॉर्डर डिफेंस विलेज बसाने का काम शुरू हुआ था. अक्टूबर 2019 में चीन ने सीमा पर गांव बसाने के काम को तेज करने का ऐलान किया था. जिसे इस साल 2021 में पूरा करने की योजना चीन की सरकार ने बनाई है.

सूत्रों की मानें तो चीन के इस प्रोजेक्ट को गति देने के लिए चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर भी एक्टिव हो गए हैं. पार्टी से जुड़े इंफ्लुएंसियल लोग गांवों में रहकर ग्रामीणों को अन-आर्म्ड ट्रेंनिग देने के लिए सारी व्यवस्था भी मुहैया करा रहे हैं.

भारत कितना तैयार?

साल 2018 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन की सीमा के करीब लपथल और रिमखिम बॉर्डर आउटपोस्ट का दौरा किया था. इस समय रक्षा मंत्री राजनाथ ने तब कहा था कि चीन की सीमा से सटे गांवों का विकास करना सरकार की बड़ी प्राथमिकता है.

उन्होंने उस दौरान ये कहा था कि भारत और चीन की सीमा पर रहने वाले नागरिकों की हमें चिंता करनी है. बॉर्डर के गांवों में रहने वाले लोग देश के लिए स्ट्रैटिजिक असेट्स हैं. जानकार मानते हैं कि साल 2018 में भारत-चीन सीमा पर राजनाथ सिंह के दौरे के बाद उनका जो बयान आया था, वह सीमावर्ती लोगों के महत्व को दर्शाता है. यही वे लोग हैं जो किसी भी तरीके की चीन की मूवमेंट की जानकारी देने की क्षमता रखते हैं.

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