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चीन में शी जिनपिंग के ख़िलाफ़ लोगों में उबाल क्यों है?: दिन भर, 28 नवंबर

चीन में सरकार की ज़ीरो कोविड पॉलिसी के ख़िलाफ़ लोगों में इतनी नाराजगी क्यों है? मदरसे में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप नहीं देने के पीछे केंद्र सरकार की क्या दलीलें हैं? जबरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ पीआईएल पर सुनवाई को क्यों राज़ी हुआ सुप्रीम कोर्ट और केरल में अडानी पोर्ट के कंस्ट्रक्शन के ख़िलाफ़ क्यों हैं लोग, सुनिए आज के 'दिन भर' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.

China protest against lockdown China protest against lockdown
कुमार केशव / Kumar Keshav
  • ,
  • 28 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:49 PM IST

शहर दर शहर विरोध की लहर

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में जमकर तबाही मचाई. कोरोना वेव्स ने करोड़ों लोगों को असमय ही लील लिया. कोविड की आमद के साथ लॉकडाउन का कॉन्सेप्ट दुनिया भर में फॉलो किया गया. इसके ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कई तरह की सख्तियां की गईं. वक्त के साथ वैक्सीन आए और धीरे-धीरे कोविड का डर भी ख़त्म हो गया है. कुल मिलाकर सिचुएशन बैक टू नॉर्मल हो गया है. लेकिन कोविड का जो ओरिजिन था - चीन, वहां अब भी कई तरह की पाबंदियां और सख़्ती बरती जा रही है. सरकार इसे 'ज़ीरो कोविड पॉलिसी' कहती है और वहां के कई शहरों में इसे स्ट्रिक्टली लागू किया गया है. लेकिन इसके खिलाफ चीन के लोग सड़कों पर उतर आए हैं.

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शुक्रवार को चीन के उरुमकी में 21 मंजिला एक इमारत में भीषण आग लगी, जिसमें लगभग 10 लोगों की मौत हो गई. जिस अपार्टमेंट में आग लगी थी, वह इमारत कोरोना की वजह से सील कर दी गई थी. ऐसे में आग लगने के बाद लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल पाया और लॉकडाउन की वजह से बचाव कार्यों में भी काफी दिक्कतें आईं. उरुमकी में हुई इस घटना ने आग में घी का काम किया और लोगों में पनप रहे आक्रोश को कई गुना बढ़ा दिया. बीजिंग से लेकर शंघाई, वुहान, चेंग्दू और लांगझू जैसे शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल आए और लॉकडाउन और RT-PCR टेस्ट के खिलाफ नारेबाज़ी की.

चीन का फाइनेंसियल हब माने जाने वाले शंघाई में रविवार रात को हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई. पुलिस ने कई लोगों को गिरफ़्तार भी कर लिया. वीकेंड पर भारी संख्या में कई यूनिवर्सिटीज के छात्र भी सरकार के विरोध में उतर आए. लोगों ने सरकार विरोधी नारे भी लगाए और शी जिनपिंग से इस्तीफ़ा भी माँगा. तो चीन की इस जीरो कोविड पॉलिसी से वहां के लोगों को क्या समस्या है? कितनी प्रॉब्लमैटिक है ये पॉलिसी कि इतने लार्ज स्केल पर इसके ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट हो रहे हैं? लोगों की नाराजगी इस पॉलिसी से है या वो शी जिनपिंग से भी नाराज़ हैं, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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जबरन धर्मांतरण पर 'सुप्रीम' सुनवाई

फोर्स्ड रिलीजियस कन्वर्शन का मुद्दा राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना रहता है. अब ये मामला पिछले एक साल में दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ तक पहुँच गया है. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण को लेकर एक याचिका दाखिल की है. 14 नवंबर को इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन कराये जाने पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या गंभीर है. जबरन धर्मांतरण राष्ट्रहित के खिलाफ है और नेशनल सिक्योरिटी के भी खिलाफ है. कोर्ट ने तब केंद्र सरकार से इस पर जवाब भी मांगा था. 

केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर उचित कदम उठाए जाएंगे. केंद्र ने कहा है कि वह इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत है. महिलाओं, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे कानून की आवश्यकता है. वैसे अश्विनी उपाध्याय ने पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर किया था और रिलीजियस कन्वर्शन के ख़िलाफ़ सख़्त कानून बनाने की मांग की थी और तब  तीन जजों की बेंच ने इसे ख़ारिज कर दिया था. तो इस एक साल में ऐसी क्या नौबत आ गई कि कोर्ट ने इसे न सिर्फ सुनवाई के योग्य माना, बल्कि इसे नेशनल सिक्योरिटी से जोड़ते हुए केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा? इसके अलावा उड़ीसा, एमपी, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड और यूपी जैसे दर्जन भर से ज्यादा राज्यों में पहले से ही जबरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ कानून हैं. ये कितने सक्सेसफुल रहे हैं? क्या कोई डेटा है पब्लिक डोमेन में, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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केरल में अडानी पोर्ट का विरोध क्यों

केरल के तिरुवनंतपुरम में अडानी सीपोर्ट के निर्माण को लेकर तीन महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन ये ख़बर कल उस वक़्त सुर्खियों में आई जब प्रदर्शनकारियों ने विझिंजम थाने पर हमला कर दिया और जमकर तोड़ फोड़ की. घटना में तीस से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए. इससे पहले परसों भी तिरुवनंतपुरम में हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद 50 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और 5 लोगों को हिरासत में लिया था. कहा गया कि इसी के चलते गुस्साई भीड़ ने कल थाने पर हमला कर दिया. हमले के बाद इलाके में तनाव बना हुआ है. प्रशासन ने लॉ एंड ऑर्डर को कंट्रोल में रखने के लिए 200 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया है.

दरअसल, अडानी सीपोर्ट के निर्माण को लेकर तिरुवनंतपुरम के स्थानीय लोगों के कुछ concerns हैं और इसके लिए वो प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं घटना के बाद केरल के कानून और उद्योग मंत्री पी राजी ने पोर्ट कंस्ट्रक्शन के समर्थन में बयान दिया. उन्होंने कहा कि देश का 77 फीसदी एक्सपोर्ट कोलंबो सीपोर्ट पर निर्भर है, लेकिन विझिंजम सीपोर्ट भी ऐसा कर सकता है जो भारत की इकोनॉमी के लिए बहुत मददगार साबित होगा. तो ये पूरा मामला है क्या,  स्थानीय लोग क्या मांग कर रहे हैं? जब पोर्ट का निर्माण अपने अंतिम चरण में है तो हिंसा क्यों भड़क रही है? हिंसा के बाद प्रशासन ने क्या एक्शन लिया है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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मदरसों की स्कॉलरशिप क्यों बंद हुई

केंद्र सरकार ने मदरसों में क्लास वन से एट तक के छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप बंद कर दी है. अभी तक मदरसों में पहली से 5वीं क्लास तक के बच्चों को 1000 रुपए स्कॉलरशिप मिलती थी. वहीं, 6 से 8 तक के बच्चों को अलग अलग कोर्स के हिसाब से स्कॉलरशिप दी जाती थी. केंद्र के इस फैसले के बाद 9वीं और 10वीं के छात्रों को पहले की तरह ही स्कॉलरशिप मिलती रहेगी और उनके आवेदन लिए जाएंगे. हाल ही में यूपी सरकार ने भी मदरसों को स्कॉलरशिप देने की व्यवस्था ख़त्म की थी. पिछले साल यूपी के क़रीब साढ़े 16 हज़ार मदरसों में 4 से 5 लाख बच्चों को स्कॉलरशिप मिली थी. इस बार भी नवंबर में मदरसों के बच्चों ने स्कालरशिप को लेकर आवेदन दिए थे लेकिन केंद्र सरकार ने इसे बंद करने का फैसला किया है. तो सबसे पहले ये समझते हैं कि ये जो मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी, इसके पीछे का रीजन क्या था? इस स्कॉलरशिप से मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को कितना फायदा मिला और अब इसे बंद करने के पीछे सरकार ने क्या वज़ह बताई है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.

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