
भारतीय वायु सेना ने कुछ महीने पहले 15 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ रहे चीनी जासूसी गुब्बारे जैसे एक टारगेट को सफलतापूर्वक मार गिराया था. रक्षा सूत्रों ने आजतक को बताया कि यह अभ्यास कुछ महीने पहले पूर्वी वायु कमान के क्षेत्र के तहत हुआ था. इस ऑपरेशन में एक राफेल फाइटर जेट शामिल था, जिसने अभ्यास में ऊंचाई पर उड़ रहे गुब्बारे को निशाना बनाया.
इन्वेंट्री मिसाइल का किया गया इस्तेमाल
सूत्रों ने कहा कि टारगेट, हालांकि 2023 की शुरुआत में अमेरिकी वायु सेना द्वारा मार गिराए गए जासूसी गुब्बारे से छोटा था, के साथ एक पेलोड जुड़ा हुआ था और इसे 55,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर एक इन्वेंट्री मिसाइल का उपयोग करके मार गिराया गया. 15 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, गुब्बारे को निष्क्रिय कर दिया गया, जिसके बाद हवाई खतरों से निपटने के लिए वायु सेना ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया.
पिछले साल अमेरिका में दिखा था चीनी जासूसी गुब्बारा
यह अभ्यास ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारों का इस्तेमाल करके चीनी जासूसी गतिविधियों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच हुआ है. 2023 की शुरुआत में, अमेरिकी वायु सेना F-22 ने दक्षिण कैरोलिना के तट पर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था, जो कई दिनों से उत्तरी अमेरिका में घूम रहा था. उसके बाद एक हफ्ते के भीतर इस तरह के कम से कम दो अन्य मामले भी सामने आए थे.
अंडमान-निकोबार के ऊपर भी दिखा था गुब्बारा
भारत में भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऊपर ऐसे ही गुब्बारे देखे जाने की खबरें आई थीं. हालांकि उस मामले में तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि गुब्बारा तीन से चार दिनों तक देखे जाने के बाद आखिरकार दूर चला गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि इन गुब्बारों में एक प्रकार का स्टीयरिंग सिस्टम होता है, जिससे ये लंबे समय तक एक ही क्षेत्र में मंडराते रहते हैं. इन गुब्बारों का इस्तेमाल एक बड़े क्षेत्र पर नजर रखने के लिए किया जाता है.