
हार्वर्ड का लॉ स्कूल अपने पूर्व छात्र और भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को 'अवार्ड फॉर ग्लोबल लीडरशिप' उपाधि से सम्मानित करेगा. हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ ने अब तक जो सेवाएं और उपलब्धियां देश और दुनिया में न्यायिक क्षेत्र को दी हैं उनके लिए ये संस्थान उनको कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए विभूषित करेगा.
हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर से किया एलएलएम
लॉ स्कूल सेंटर 11 जनवरी को ऑनलाइन समारोह में उनको इस सम्मान उपाधि से अलंकृत करेगा. इस अवसर पर हार्वर्ड लॉ स्कूल के प्रोफेसर डेविड विल्किंस जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ बातचीत भी करेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ सेंटर से 1982 में विधि स्नातक यानी एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर से विधि और न्याय शास्त्र में स्नातकोत्तर यानी एलएलएम की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उनके विधि और न्यायिक ज्ञान को देखते हुए 39 साल की उम्र में ही सीनियर एडवोकेट की उपाधि और गाउन मिल गया था. वो देश के सबसे कम उम्र में सीनियर एडवोकेट बने.
9 नवंबर को शपथ
पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में वकील फिर वहीं जज और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए. हाल ही में दो महीने पहले 9 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ ने देश के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इसके साथ ही उन्होंने एक रिकॉर्ड और बनाया जिसमें पिता पुत्र दोनों देश के चीफ जस्टिस बने.
देश के सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस रहने वाले जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के पुत्र जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने शपथ ग्रहण के बाद ही अपने पहले बयान में ये साफ कर दिया था कि उनकी प्राथमिकता न्याय को कतार में खड़े सबसे अंतिम आदमी और आम जनता तक सुलभ बनाने की रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट में जनता का भरोसा उसके शब्दों से ज्यादा काम से बढ़ाया जाएगा. इसके लिए तकनीक, तरीके और तालमेल को बेहतर बनाकर जनता को आसानी से न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे. वकीलों से भी उन्होंने कहा कि स्ट्रेस फ्री कोर्ट बनाए रखें.