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वज्रपात से 100 से ज्यादा मौत... वैज्ञानिकों ने बताया क्यों कहर बनकर टूट रही आसमानी बिजली

उत्तर प्रदेश में गुरुवार को बिजली गिरने से कम से कम 43 लोगों की मौत हो गई, जबकि शुक्रवार को बिहार में 21 लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोगों में से ज़्यादातर लोग खेतों में धान की रोपाई कर रहे थे, मवेशी चरा रहे थे या बारिश से बचने के लिए पेड़ों के नीचे शरण लिए हुए थे.

आसमानी बिजली गिरने से मौत के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं (फाइल फोटो) आसमानी बिजली गिरने से मौत के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

देश के कई राज्यों में आकाशीय बिजली कहर बनकर टूट रही है. मॉनसून आने के साथ ही आए दिन बिजली गिरने से लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग इलाकों में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. पिछले कुछ समय से बिजली गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है. वैज्ञानिकों ने इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को कारण बताया है.

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पीटीआई के मुताबिक शनिवार को एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ती गर्मी के कारण दुनिया भर में गरज के साथ बारिश हो रही है और इसके परिणामस्वरूप बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में गुरुवार को बिजली गिरने से कम से कम 43 लोगों की मौत हो गई, जबकि शुक्रवार को बिहार में 21 लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोगों में से ज़्यादातर लोग खेतों में धान की रोपाई कर रहे थे, मवेशी चरा रहे थे या बारिश से बचने के लिए पेड़ों के नीचे शरण लिए हुए थे. 

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में पूर्व सचिव माधवन नायर राजीवन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण संवहनीय या गरज के साथ बारिश वाले बादलों बन रहे हैं. उन्होंने बताया, "लोगों ने दस्तावेजीकरण किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत सहित हर जगह गरज के साथ बारिश की आवृत्ति बढ़ रही है. दुर्भाग्य से, हमारे पास घटनाओं में वृद्धि की पुष्टि करने के लिए बिजली चमकने का दीर्घकालिक डेटा नहीं है. हालांकि, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से संवहनी गतिविधि बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक गरज के साथ बारिश होती है और परिणामस्वरूप, अधिक बिजली गिरती है." 

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राजीवन ने बताया कि बिजली गिरने का कारण बड़े ऊर्ध्वाधर विस्तार वाले गहरे बादल हैं. उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के कारण हवा की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ रही है, ऐसे बादल अधिक बन रहे हैं."

इसलिए बढ़ जाती है बिजली गिरने की संभावना

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डी एस पई ने कहा कि सतह का तापमान जितना अधिक होगा, हवा उतनी ही हल्की होगी और यह उतनी ही ऊपर उठेगी. उन्होंने से कहा, "इसलिए, उच्च तापमान के साथ, संवहनीय गतिविधि या गरज के साथ बारिश की संभावना अधिक होती है, जिससे स्वाभाविक रूप से अधिक बिजली गिरने की संभावना होती है. जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं अधिक बार हो रही हैं."

वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह बड़ी संख्या में बिजली गिरने की घटनाएं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई, भी बड़े पैमाने पर गरज के साथ बारिश की गतिविधि के कारण हुई थीं. पूर्व आईएमडी प्रमुख के जे रमेश ने बताया कि अधिक गर्मी के साथ बादलों की ऊर्ध्वाधर सीमा बढ़ जाती है.

हवा की नमी पर निर्भर करता है वज्रपात

उन्होंने कहा, "जब हवा का तापमान पांच से छह किलोमीटर की ऊंचाई पर हिमांक बिंदु तक पहुंच जाता है, तब क्रिस्टलीकरण होता है. बादल जितना गहरा होता है, उसमें उतने ही अधिक बर्फ के क्रिस्टल और आवेश होते हैं. तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से हवा की नमी धारण करने की क्षमता में सात प्रतिशत की वृद्धि होती है और बिजली गिरने की घटनाओं में 12 प्रतिशत की वृद्धि होती है." 

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