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दिल्ली विधानसभा में कोई 'खाली कुर्सी' नहीं रहेगी! आतिशी को 1 तो अरविंद केजरीवाल को 41 नंबर की सीट अलॉट

अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाली आतिशी सीएम बनने से पहले सीट नंबर 19 पर बैठती थीं.

अरविंद केजरीवाल और CM आतिशी अरविंद केजरीवाल और CM आतिशी
राम किंकर सिंह/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) में गुरुवार को दो दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत हो चुकी है. विधानसभा सत्र की शुरुआत के साथ ही एक बड़ी मिस्ट्री सॉल्व हो गई कि आतिशी के सीएम बनने के बाद अब विधानसभा में कौन कहां बैठ रहा है. ये भी सामने आया है कि विधानसभा में पूर्व सीएम केजरीवाल के लिए कोई कुर्सी खाली नहीं छोड़ी गई है. वहीं, आतिशी अब पहली सीट पर बैठ रही हैं. केजरीवाल को सीट नंबर-41 आवंटित हुई है. 

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बता दें, नए सीटिंग प्लान के मुताबिक, दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी अब पहली सीट पर बैठेंगी. इस बीच, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सीट नंबर 41 आवंटित की गई है. पिछले हफ्ते दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं आतिशी, इससे पहले सीट नंबर 19 पर बैठी थीं. सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत और मुकेश अहलावत सहित दिल्ली के कई मंत्रियों का सीट नंबर बदल दिया गया है. दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता का सीट नंबर 94 से बदलकर 100 कर दिया गया है.'

यह भी पढ़ें: केजरीवाल की कुर्सी पर क्यों नहीं बैठीं आतिशी? मंत्री गोपाल राय ने बताई ये वजह

नया सीटिंग प्लान, आतिशी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद आया है. कालकाजी विधानसभा से विधायक आतिशी ने 23 सितंबर को कार्यभार संभाला था. हालांकि, उन्होंने AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया और पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति अपना अटूट विश्वास को दोहराने के लिए उसे अपने बगल में रख लिया.

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मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद आतिशी ने कहा कि वह रामायण के भरत की तरह चार महीने तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करेंगी, जिन्होंने अपने बड़े भाई भगवान राम की अनुपस्थिति में उनकी खड़ाऊं ​​(लकड़ी की चप्पल) को राजगद्दी पर रखकर अयोध्या पर शासन किया था.

इस दौरान आतिशी ने कहा था, "आज मैं वही बोझ उठा रही हूं, जो भरत ने उठाया था. जिस तरह उन्होंने भगवान राम की पादुकाएं राजगद्दी पर रखकर शासन किया, मैं भी उसी भावना से अगले चार महीने तक दिल्ली पर शासन करूंगी."

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