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तमिलनाडु: 5 साल, 154 गवाह, डॉक्टरों से जिरह... जयललिता की मौत की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK की अध्यक्ष रही जयललिता की मौत किन परिस्थितियों में हुई? इसके असली कारणों का पता लगाने के लिए जांच आयोग की मांग की जांच की जा रही थी. इसके बाद तत्कालीन सरकार ने जांच आयोग गठित की थी.

तमिलनाडु की पूर्व CM जयललिता (फाइल फोटो) तमिलनाडु की पूर्व CM जयललिता (फाइल फोटो)
अक्षया नाथ
  • चेन्नई,
  • 27 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत के 5 साल गुजर चुके हैं. अब जाकर इस मामले की जांच कर रहे जस्टिस अरुमुघस्वामी (रिटायर्ड) ने अपनी रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार को सौंपी है.  तमिल और अंग्रेजी भाषा में तैयार 600 पन्नों की इस रिपोर्ट में जयललिता का इलाज कर रहे डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और दूसरे लोगों के बयान दर्ज हैं. सीएम स्टालिन को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए जस्टिस अरुमुघस्वामी ने कहा है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है और अब ये सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस रिपोर्ट को स्वीकार करती है या अस्वीकार. 

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बता दें कि 2016 में बीमार होने के बाद जयललिता 75 दिनों तक चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती रही थीं. इसके बाद जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2016 को रात्रि 11.30 बजे चेन्नई के अपोलो अस्पताल में हुआ था. इस दौरान कई तरह की शंकाएं जताई जा रही थी. इसके बाद जयललिता के विश्वासपात्र और पूर्व सीएम ओ पन्नीरसेलवम ने जयललिता की मौत के मामले में आयोग बनाकर जांच की मांग की थी. 

आजतक से बात करते हुए जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने कहा कि उन्होंने संतोषजनक जांच की है और अपने निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन किया है. 

30 महीने में 149 गवाहों से पूछताछ 

 जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने कहा कि उन्होंने इस मामले में इलावरसी से पूछताछ की है. इलावरसी तमिल फिल्मों की अभिनेत्री रही हैं. इलावरसी एक केस में आरोपी थीं. इस केस में शशिकला और पूर्व सीएम जयललिता का भी नाम आया था.  जस्टिस अरुमुघस्वामी ने कहा कि इस मामले से स्टे हटने के बाद कुछ गवाहों से पूछताछ की गई है. कुल मिलाकर 30 महीने में 149 गवाहों का बयान दर्ज किया गया है. 

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जांच में सबसे मिली मदद

जांच आयोग के अनुसार अपोलो अस्पताल, शशिकला और दूसरे पक्ष के लोगों ने जांच में मदद की है. इससे जुड़े गवाहों ने अपने बयान दिए हैं.  जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने कहा है कि जांच आयोग को इनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. जांच के दौरान कई लोगों ने समय की मांग की और इन्हें पूरा समय दिया गया. कुल मिलाकर 154 गवाहों से पूछताछ की गई. इनमें से 30 महीनों में 149 गवाह, 4 डॉक्टर और कुछ अन्य लोग शामिल हैं. 

अपोलो अस्पताल की आलोचना का जवाब

जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने उन आलोचनाओं का भी जवाब दिया जिसमें अपोलो अस्पताल की ओर से कहा गया था कि मामले की जांच कर रहे आयोग के पास मेडिकल विशेषज्ञता नहीं है. इस पर  जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने कहा कि ये एक जज पर प्रतिक्रिया देने का उनका अधिकार है. इससे वे दुखी नहीं है. इस जांच में किसी वकील ने इस बाबत कोई टिप्पणी नहीं की है. उनके खिलाफ हमारे दिमाग में कुछ भी नहीं था. 

सीएम की मौत से जुड़ा रहस्य क्या है?

इस सवाल पर जस्टिस अरुमुघस्वामी (रि.) ने कहा कि मैंने सरकार को एक रिपोर्ट सौंप दी है, अब ये सरकार के ऊपर है कि वे इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हैं या नहीं. 

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बता दें कि जस्टिस अरुमुघस्वामी मद्रास हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज हैं. उन्होंने नवंबर 2017 से इस केस की जांच शुरू की थी. 

 

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