
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को परिसीमन को लेकर भ्रम दूर करने की कोशिश की और कहा कि यह जनसंख्या प्रबंधन से अलग मुद्दा है और इसे चल रही राजनीतिक चर्चाओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. नायडू ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "परिसीमन एक सतत प्रक्रिया है, जो 25 साल में एक बार होती है."
जनसंख्या बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'मैं अब जनसंख्या वृद्धि का समर्थन करता हूं, दक्षिणी राज्य बुढ़ापे की समस्या का सामना कर रहे हैं. केवल यूपी और बिहार में यह समस्या नहीं है. मैं पहले परिवार नियोजन का समर्थन करता था लेकिन अब मैं अब जनसंख्या वृद्धि का समर्थन करता हूं. अधिक बच्चों के लिए प्रोत्साहन दें.
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वैश्विक समस्या का किया जिक्र
नायडू ने वैश्विक वृद्धावस्था संकट की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, और जापान, चीन और कुछ यूरोपीय देशों जैसे देशों में जनसंख्या चुनौतियों की ओर इशारा किया. चंद्रबाबू नायडू ने कहा, "जापान में जनसंख्या शून्य से 8 प्रतिशत कम है. यह मानव अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. दक्षिण भारत में वृद्धावस्था की समस्या शुरू हो गई है. उत्तर भारत में केवल दो राज्य - बिहार और उत्तर प्रदेश फायदे में है. हम सोच रहे थे कि जनसंख्या वृद्धि नुकसानदेह है, लेकिन अब लगता है कि इसके फायदे हैं."
CM नायडू ने कहा, "मैं भी परिवार नियोजन की एक चुनौती के रूप में वकालत करता था. अब, मैं अपने विचार बदल रहा हूं और जनसंख्या वृद्धि का समर्थन करता हूं." मुख्यमंत्री ने संसाधन आवंटन के लिए एक नया दृष्टिकोण सुझाते हुए कहा, "धन सृजन और जनसंख्या में अक्सर टकराव होता है." उन्होंने प्रस्ताव दिया कि "भारत सरकार या वित्त आयोग को जनसंख्या को बढ़ावा देना चाहिए."