
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) जमीन आवंटन मामले में नई कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा, जिन्होंने इस मामले में पहली शिकायत की थी, अब CBI जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं.
पहले खारिज हो चुकी है सीबीआई जांच की मांग
स्नेहमयी कृष्णा ने पहले भी कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य लोकायुक्त से मामले को CBI को सौंपने की मांग की थी. उन्होंने सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी.एम. को 14 प्लॉटों के आवंटन में गड़बड़ी का आरोप लगाया है.
हालांकि, 7 फरवरी को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि लोकायुक्त की जांच निष्पक्ष थी और उसमें किसी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले. पहली याचिका खारिज होने के तीन हफ्ते बाद, स्नेहमयी कृष्णा ने अब फिर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग दोहराई है.
कोर्ट में दाखिल की गई पुनरीक्षण याचिका
इसके अलावा, एक पुनरीक्षण याचिका (Revision Petition) भी दाखिल की गई है, जिसमें 14 प्लॉटों पर लोकायुक्त की रिपोर्ट को चुनौती देने का अधिकार सुरक्षित रखने की बात कही गई है. यह विवाद ऐसे समय में फिर से उठा है जब कर्नाटक लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और दो अन्य लोगों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी.
लोकायुक्त की जांच में पाया गया कि यह मामला पूरी तरह से सिविल नेचर का है और इसमें किसी आपराधिक कार्रवाई की जरूरत नहीं है. अब देखना होगा कि हाई कोर्ट इस मामले में CBI जांच की मांग पर क्या फैसला सुनाता है.