
तेलंगाना में सरकार बनाम राज्यपाल के बीच टकराव इस कदर बढ़ा कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. तेलंगाना सरकार ने राज्यपाल टी. सुंदरराजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
दरअसल, सरकार द्वारा विधानसभा में पारित 10 विधेयकों पर राज्यपाल अपनी सहमति के दस्तखत नहीं कर रही हैं. इसके खिलाफ तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इस मामले में राज्य सरकार का कहना है कि ये बिल पारित होने के बाद सितंबर 2022 से लंबित हैं. राज्यपाल अपने संवैधनिक दायित्व को दरकिनार कर इन बिल को अपने पास रखे हुए हैं. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को निर्देश दे कि वो तत्काल प्रभाव से इन बिलों को मंजूरी दें, ताकि जनहित में उनका इस्तेमाल हो सके.
राज्य सरकार ने 10 लंबित विधेयकों पर तत्काल सहमति देने का निर्देश देने की मांग की है. इनमें से सात विधेयक पिछले साल 14 सितंबर से राज्यपाल के कार्यालय में लंबित हैं. जबकि तीन विधेयकों को विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होने के बाद 13 फरवरी को उनके पास भेजा गया था.
तेलंगाना की ओर से याचिका मुख्य सचिव ए शांति कुमारी के माध्यम से दायर की गई है. इसमें मांग की गई है कि कोर्ट राज्यपाल द्वारा देरी को 'अवैध, अनियमित और असंवैधानिक' घोषित करे. राज्य ने अपनी याचिका में कहा कि संविधान के अनुसार राज्यपाल को अनिवार्य रूप से विधेयकों को मंजूरी देनी होती है और सहमति देने में किसी भी तरह की निष्क्रियता से अराजकता पैदा होगी.
याचिका में ये भी कहा गया है कि अगर राज्यपाल को विधेयकों पर कोई संदेह है, तो वह स्पष्टीकरण मांग सकती हैं, लेकिन वह उन्हें लंबित नहीं कर सकतीं. अगर वह कोई मुद्दा उठाती हैं तो हम उन्हें स्पष्ट करेंगे.
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