
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जारी है. माना जा रहा है कि इस मानसून सत्र में सरकार इसे पेश कर सकती है. वहीं कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसको लेकर सरकार पर हमलावर है. इस सबके बीच केरल में सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) और विपक्षी कांग्रेस के बीच जुबानी जंग गुरुवार को तेज हो गई. दोनों ने एक-दूसरे पर इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं रखने का आरोप लगाया.
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के प्रमुख और सांसद के सुधाकरन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने वाम दल पर यह कहकर हमला किया कि यह "अवसरवादी" है और इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है. कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि अगर सीपीआई (एम) ईमानदारी से यूसीसी का विरोध करती है, तो उसे अपने पूर्व नेता और केरल के पहले सीएम ईएमएस नंबूदरीपाद के रुख को खारिज कर देना चाहिए, जिन्होंने सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून का आह्वान किया था.
इस सबके बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कांग्रेस की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कांग्रेस का कोई स्पष्ट रुख नहीं है और पार्टी का रुख दिल्ली अध्यादेश पर के समान समान है. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपना रुख बताने के बजाय सीपीआई (एम) का अपमान करना कांग्रेस की इससे भागने की रणनीति है.
उन्होंने कहा कि क्या राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की कोई स्पष्ट स्थिति और नीति है? यदि ऐसा है, तो ये क्या है? कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह, जो हिमाचल के मंत्री भी हैं, ने यूसीसी का स्वागत किया है. क्या कांग्रेस की आधिकारिक स्थिति इससे अलग है? चुनावी राजनीति में बीजेपी का विरोध करने के अलावा कांग्रेस देश के अस्तित्व को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर संघ परिवार के खिलाफ खड़े होने में अनिच्छुक है.
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए लोकतंत्र विरोधी अध्यादेश का प्रभावी ढंग से समर्थन कर रही है. इस अध्यादेश के माध्यम से संघ परिवार ने यह घोषणा कर दी है कि वह संवैधानिक सिद्धांतों को भी नष्ट करने में संकोच नहीं करेगा. लेकिन कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ मोर्चा लेने का फैसला किया. राष्ट्रीय नेतृत्व भी दिल्ली में आम आदमी सरकार को समर्थन देने को तैयार नहीं है. समान नागरिक संहिता के विषय पर भी कांग्रेस ने वही भ्रामक रुख अपनाया है.