
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की बरसी पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर से विवाद को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा है कि 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवान "खुफिया विफलता" के कारण शहीद हुए थे. बता दें कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक आतंकी हमला हुआ था.
इस हमले में एक आतंकी ने विस्फोटकों से लदी अपनी कार को CRPF के जवानों को लेकर जा रही एक बस से टकरा दिया था. इस टक्कर की वजह से इतना जोरदार धमाका हुआ था कि सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
मंगलवार को इस हमले की बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने जवानों के बलिदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस सिलसिले में दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि, 'आज हम उन 40 सीआरपीएफ शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो पुलवामा में खुफिया विफलता के कारण शहीद हो गए. मुझे उम्मीद है कि सभी शहीद परिवारों का उपयुक्त रूप से पुनर्वास किया गया है.'
दिग्वजिय सिंह के इस बयान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दिग्विजय सिंह और कांग्रेस पार्टी के डीएनए की होनी चाहिए. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "मुझे लगता है कि दिग्विजय जी की बुद्धि फेल हो गई है, यह उनका फेलियर है. वे देश की सेना का अपमान करते हैं. जांच दिग्विजय सिंह और कांग्रेस पार्टी के डीएनए की होनी चाहिए, जो भारत जोड़ने के नाम पर तोड़ने वालों के साथ यात्रा करती है. सोनिया जी और राहुल जी को इसका जवाब देना चाहिए.'
शिवराज सिंह चौहान के बयान पर दिग्विजय सिंह ने कहा है कि ISI के लिए कौन लोग थे जिन्होंने जासूसी की थी ,ध्रुव सक्सेना इनका नही था, 14 लोग थे, सब बजरंग दल, VHP और भाजपा के लोग थे. इनपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा शिवराज सिंह चौहान ने क्यों नही चलाया. बताइए कौन पाकिस्तान और ISI का हितैषी है.
बता दें कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर बालाकोट में आतंकियों के ठिकाने पर हमला किया था.
बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने पुलवामा हमले पर सवाल उठाया है. पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में आजतक से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आतंकी हमले के जवाब में 2019 के 'सर्जिकल स्ट्राइक' का कोई सबूत नहीं दिया था.
हालांकि तब राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया था.