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EWS आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कांग्रेस नेता जया ठाकुर, दायर की पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को दिए अपने फैसले के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को मिल रहे आरक्षण को बरकरार रखा है. पांच जजों की संविधान पीठ ने 3 बनाम 2 के बहुमत से EWS आरक्षण को संवैधानिक करार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बरकरार रखा था सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बरकरार रखा था
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को आर्थिक आधार पर यानी EWS आरक्षण फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस की नेता जया ठाकुर ने दाखिल ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. दरअसल, पांच जजों की संविधान पीठ ने 3 बनाम 2  के बहुमत से EWS आरक्षण को संवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को दिए अपने फैसले के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को मिल रहे आरक्षण को बरकरार रखा है. 

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बता दें कि चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व में 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई की थी. याचिका में आरक्षण के खिलाफ दलील दी गई थी कि यह 103 रे संविधान संशोधन के साथ धोखा है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को दिए गए आरक्षण पर सुप्रीम मुहर लगाते हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने 3 बनाम 2 से संविधान के 103वें संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया. 

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा के खिलाफ अपनी राय रखी थी, जबकि बाकी तीन जजों ने कहा था कि यह संशोधन संविधान की मूल भावना के खिलाफ नहीं है. 

गौरतलब है EWS कोटे में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक आधार पर मिला हुआ है. शीर्ष अदालत ने आरक्षण पर रोक लगाने से इंकार किया था. इस फैसले के साथ ही देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण जारी रहने का पथ प्रशस्त हो गया.

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