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कृषि बिल: संसद के बाद अब सड़क पर चलेगी लड़ाई, कांग्रेस नवंबर तक करेगी प्रदर्शन

कृषि बिल के विरोध में कांग्रेस बड़े अभियान की तैयारी कर रही है. कांग्रेस अपने आंदोलन को संसद से सड़क तक ले जाने के लिए कमर कर चुकी है. इसके लिए पार्टी की ओर से नवंबर तक का प्लान तैयार कर लिया गया है.

रणदीप सुरजेवाला (फाइल फोटो) रणदीप सुरजेवाला (फाइल फोटो)
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST
  • प्रजातंत्र का गला घोंटा जा रहा है- कांग्रेस
  • बड़े आंदोलन का खाका तैयार कर रही पार्टी
  • गांव-गांव जाकर बिल पर किसानों से करेगी बात

कृषि बिल के विरोध में कांग्रेस बड़े अभियान की तैयारी कर रही है. कांग्रेस अपने आंदोलन को संसद से सड़क तक ले जाने के लिए कमर कर चुकी है. इस पर बोलते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'प्रजातंत्र का गला घोंटा जा रहा है. पहले नोटबंदी के द्वारा व्यापार बंदी और अब खेत बंदी. हमने जन आंदोलन की तैयारी कर ली है. अगले 72 घंटे में कांग्रेस हर स्टेट हेड क्वार्टर में जाकर मोदी सरकार पोल खोलेगी. फिर उसके बाद पार्टी कार्यकर्ता राजभवन के सामने प्रोटेस्ट मार्च करेंगे और यह मांग रखेंगे कि सरकार इस कानून को वापस ले.'

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रणदीप सुरजेवाला ने आगे कहा, '2 अक्टूबर को हमारे सारे नेता बाकायदा धरना प्रदर्शन करेंगे और इस काले कानून के खिलाफ ज्ञापन देंगे. 10 अक्टूबर को बड़ा आंदोलन बुलाया जाएगा. 31 अक्टूबर को कांग्रेस के साथी गांव-गांव जाएंगे और किसान विरोधी कानून के खिलाफ दो करोड़ किसानों से मिलेंगे. 14 नवंबर को हम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे.'

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, 'वह प्रधानमंत्री जिसे रबी और खरीफ की फसल का नहीं पता वह किसानों का क्या भला करेगा? उनको यह नहीं पता कि धान की फसल रबी की फसल है कि खरीफ. जिस प्रधानमंत्री को धान और गेहूं के बीच में अंतर नहीं पता वह क्या किसानों का भला करेगा. प्रधानमंत्री के लिए मुहावरा है- नीम हकीम खतरा-ए-जान.'

दरअसल, कांग्रेस किसान आंदोलन के जरिए अपनी पार्टी में जान फूंकने की कवायद कर रही है. कांग्रेस को लगता है कि विपक्ष को एकजुट करने का इससे बेहतर मौका नहीं मिल सकता. यही वजह है कि वह पार्टी के फायदे के लिए जनता में सीधा और मजबूत संदेश देना चाहती है. किसान बिल को लेकर कांग्रेस आगे की रणनीति तैयार करेगी इसके लिए उसने अपने तमाम नेताओं की बैठक बुलाई है. बैठक में सभी राज्यों के इंचार्ज किसानों का फीडबैक देंगे.

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