
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिछले साल कांग्रेस छोड़ने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस को बीते दिन जितिन प्रसाद के रूप में तगड़ा झटका लगा. पूर्व सांसद और यूपी के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद ने राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया.
जितिन प्रसाद के इस फैसले के बाद जहां कांग्रेस के कई नेताओं ने उन पर हमला बोला तो वहीं सलमान खुर्शीद ने दुख जताया है. खुर्शीद ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में बताया कि वह काफी दुखी हैं, लेकिन यह जितिन प्रसाद की पसंद थी. पढ़ें, इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के साथ इंटरव्यू का संपादित अंश...
सवाल: पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया, फिर सचिन पायलट पर अटकलें और अब जितिन प्रसाद. क्या कांग्रेस एक डूबता जहाज है, जो विशेष रूप से युवा नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती?
जवाब: यह एक बहुत ही कठिन सवाल है. अगर मैं पहले हिस्से से सहमत हूं, तो मैं दूसरे हिस्से को भी स्वीकार कर सकूंगा, लेकिन यदि मैं पहले भाग से सहमत नहीं हूं, तो मैं दूसरे भाग के बारे में क्या कहूं? कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजर रही है. मुझे नहीं लगता कि कोई समझदार व्यक्ति इससे इनकार करेगा, लेकिन हम जैसे कई हजार लोग ऐसे हैं जो कांग्रेस के इस बुरे समय को देखने और पार्टी के अच्छे समय वापस आने को देखने के लिए पूरी तरह से दृढ़ हैं.
यही विश्वास है, यही आस्था की बात है, यही विश्लेषण है और मेरा मानना है कि यह देश के लिए भी अच्छा है. अगर लोग हमें छोड़ रहे हैं, तो हमें उनके फैसलों के अनुसार, परिभाषित नहीं किया जा सकता है. वे अपना फैसला लेते हैं और वे वहीं जाते हैं, जहां वे जाना चाहते हैं. इस विशेष मामले (जितिन प्रसाद) में मुझे बहुत बुरा लग रहा है. मुझे इसलिए भी बहुत बुरा लग रहा है, क्योंकि उनके पिता मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे. वह भी मेरे अच्छे दोस्त रहे हैं. हम सभी ने उन्हें एक छोटे भाई की तरह पसंद किया है और मुझे गहरा दुख है कि उन्होंने जाने का फैसला किया. लेकिन यह उनकी पसंद है और उनका फैसला है.
सवाल: क्या कांग्रेस को अपने काम करने के तरीके को बदलने की जरूरत है कि आप लोगों को उनकी योग्यता और लोगों से जुड़ाव के आधार पर रिवॉर्ड दें, नाकि इस पर कि उनके पिता कौन थे?
जवाब: विरासत, हेरिटेज कॉन्टीनुइटी, परंपरा जैसी चीजें भी होती हैं, जोकि बुरी नहीं हैं. लेकिन जाहिर है, योग्यता एक महत्वपूर्ण चीज है और आप यह नहीं कह सकते कि जिन लोगों ने देश में चुनाव जीता है, उनमें योग्यता नहीं है. लोगों ने चुनाव जीता और पार्टी के उच्च पदों पर अपनी जगह बनाई. वहीं, जब पार्टी के लिए बुरा समय आया तो वे चुनाव हार भी गए. उन्होंने चुनाव में जीत भी दर्ज की और उन्हें हार भी मिली. इसमें पार्टी के काम करने के तरीके का सवाल कहां से आ गया. पार्टी के पास उन लोगों के लिए भी जगह है, जिनके पास राजनीतिक विरासत नहीं है और जिनके पास है, उनके लिए भी पार्टी में जगह है.
सवाल: आप सबसे लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में मार्जिनल प्लेयर रहे हैं, लेकिन पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई गंभीर कोशिशें नहीं की गईं. अब आपने प्रियंका गांधी वाड्रा को भी शामिल कर लिया है, लेकिन यूपी की राजनीति में कांग्रेस को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहे हैं. गांधी परिवार तक पहुंच रखने वाले भी अब साथ छोड़ रहे हैं.
जवाब: अगर कोई ऐसा कर रहा है, तो मैं उनसे जुड़े सवालों का जवाब नहीं दे सकता हूं. लोगों का नजरिया अलग-अलग होता है और यह कहना गलत है कि प्रियंका गांधीजी आई हैं और कांग्रेस को नहीं पता कि वह क्या कर रही है. मुझे विश्वास है कि वह पार्टी में काफी ऊर्जा लेकर आई हैं. हमें पूरी तरह से विश्वास है कि वह कांग्रेस को सम्मानजनक स्थिति तक ले जाएंगी. हम गलत हो सकते हैं, लेकिन फिर भी यही हमारा विश्वास है. यह हमें तय करना है कि क्या हमें यही चाहिए या कोई और जो स्टूडियो में बैठकर हमें बता रहा है कि आपको कुछ और करना चाहिए.
सवाल: कांग्रेस साल 2014 से संकट में है. इस संकट का समाधान क्या है?
जवाब: मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि हम लंबे समय से संकट में हैं. लेकिन समय-समय पर कुछ चीजों में सफल भी रहे हैं. आखिरकार, जब संकट हमारे आसपास था तब भी हम सरकार में बने रहे. यह सही बात है कि इस देश को कैसे आगे बढ़ना चाहिए, इस बारे में बहुत गंभीर संकट हैं. हम भी उस संकट की चपेट में आए हैं. हर कोई उन लोगों की तरह नहीं होता है, जो जा रहे हैं. मैं यहां हूं. क्या आपको उन लोगों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो पार्टी छोड़ने को तैयार नहीं हैं? ऐसा नहीं है कि हम असंवेदनशील हैं या हमें अपने भविष्य की परवाह नहीं है, लेकिन हम मानते हैं कि हमारा भविष्य कांग्रेस में है और इसलिए हम यहां हैं. कुछ लोग विचारधारा के बारे में सोचते हैं, कुछ अपने करियर के बारे में सोचते हैं.