
संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में शामिल कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संशोधन मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था.
सोनिया गांधी ने आगे कहा, "बाद में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया. आज उसी का नतीजा है कि देश के स्थानीय निकायों के जरिए 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं."
कांग्रेस नेता ने कहा, "राजीव गांधी की सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है. इस बिल के पारित होने के साथ ही वह पूरा होगा. कांग्रेस इस बिल का समर्थन करती है. हमें इस बिल के पास होने से खुशी है."
सोनिया ने इस बिल को लागू करने में होने वाली देरी पर सवाल उठाते हुए कहा, "मगर एक चिंता भी है, मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि बीते 13 सालों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं और अब उन्हें कुछ और साल इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है. क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है."
उन्होंने कहा, "कांग्रेस की मांग है फौरन अमल में लाया जाए, लेकिन इसके साथ ही जातीय जनगणना कराकर एससी, एसटी, ओबीसी की महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए. सरकार को इसे साकार करनने के लिए जो कदम उठाने की जरूरत है वह उठाने की चाहिए. स्त्रियों के योगदान को स्वीकार करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का यह सबसे उचित समय है. इस बिल को लागू करनेन में और देरी करना भारत की स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी है."
सोनिया ने कहा, "कांग्रेस की ओर से मैं मांग करती हूं कि अधिनियम को उसके रास्ते की सभी रुकावटों को दूर करते हुए जल्दी से जल्दी लागू किया जाए. ऐसा करना न सिर्फ जरूरी है बल्कि संभव है."