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'गलत वक्त पर साथ छोड़ा'...गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर बोली कांग्रेस

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. वे हमारे साथ लंबे वक्त तक रहे. उन्होंने कई पदों पर काम किया. लेकिन उन्होंने गलत वक्त पर कांग्रेस छोड़ी. कांग्रेस बीजेपी से महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर लड़ रही है. ऐसे में उन्हें गरीबों की आवाज उठानी थी. उन्हें महंगाई के खिलाफ लड़ना चाहिए था.

गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो- पीटीआई) गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो- पीटीआई)
सुप्रिया भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

Ghulam Nabi Azad: वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, गुलाम नबी आजाद ने गलत वक्त पर साथ छोड़ा. उन्होंने ऐसे वक्त पर इस्तीफा दिया, जब कांग्रेस बीजेपी से महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर लड़ रही है. 

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जयराम रमेश ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. वे हमारे साथ लंबे वक्त तक रहे. उन्होंने कई पदों पर काम किया. लेकिन उन्होंने गलत वक्त पर कांग्रेस छोड़ी. कांग्रेस बीजेपी से महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर लड़ रही है. ऐसे में उन्हें गरीबों की आवाज उठानी थी. उन्हें महंगाई के खिलाफ लड़ना चाहिए था. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 

'आजाद का डीएनए मोदी-फाइड हो गया'

जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे अधिक सम्मान दिया है, उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से पार्टी को ही धोखा दिया. यह उसके असली चरित्र को प्रकट करता है. गुलाम नबी आजाद का डीएनए मोदी-फाइड हो गया. 

वहीं, कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, हमने गुलाम नबी आजाद साहब का पत्र देखा. दुख की बात है कि उन्होंने ऐसे समय में कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया जब कांग्रेस देश भर में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, ध्रुवीकरण की लड़ाई लड़ने जा रही है. दुख की बात है कि वे इस लड़ाई में हिस्सा नहीं बन रहे. 

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आजाद ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्नों का इस्तीफा भेजा है. इसमें उन्होंने अपने 5 दशक पुराने कांग्रेस के साथ रिश्ते का जिक्र किया. इतना ही नहीं अपने पत्र में उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, राहुल अपने आस-पास अनुभवहीन लोगों को रखते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर दिया. उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ ही सारे फैसले ले रहे हैं. दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, उन्होंने कांग्रेस के कार्य करने के तौर-तरीकों को खत्म कर दिया. उन्होंने संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया. इसके साथ ही राहुल का प्रधानमंत्री द्वारा जारी किया गया अध्यादेश फाड़ना उनकी अपरिवक्ता दिखाता है. इससे 2014 में हार का सामना करना पड़ा.

आजाद ने लिखा, राहुल के आने से चर्चा की परंपरा खत्म हो गई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 की हार के बाद पार्टी की हालत और बदतर हो गई, जब राहुल गांधी ने गुस्से में आकर अध्यक्ष पद छोड़ दिया और उसके बाद CWC की ओर से आपको अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया, लेकिन आप बीते तीन से आजतक अंतरिम अध्यक्ष बनी हुईं हैं.
 
फारूक अब्दुल्ला बोले- यह अफसोस की बात

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, गुलाम नबी आजाद इंदिरा गांधी  के वक्त से इनर कैबिनेट के मेम्बर थे. आज भी सोनिया गांधी के बहुत करीब थे. बड़ा अफसोस है मुझे कि ऐसा क्या हो गया कि इन्हें इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा. 

 

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