
सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को संविधान दिवस समारोह का आयोजन किया गया है. इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन्ना ने कहा, सामान्य धारणा है कि न्याय देना केवल न्यायपालिका का कार्य है. लेकिन इतना भर ही सही नहीं है. यह तीनों अंगों पर निर्भर करता है. विधायिका और कार्यपालिका द्वारा किसी भी किस्म की नजरअंदाजी से न्यायपालिका पर केवल अधिक बोझ पड़ेगा बल्कि कभी-कभी न्यायपालिका केवल कार्यपालिका को धक्का देती है.
सीजेआई ने कहा, न्यायपालिका कार्यपालिका की भूमिका या उसे हड़पती नहीं है. एक संस्था को दूसरी संस्था के खिलाफ चित्रित करने या एक विंग को दूसरे के खिलाफ रखने की उसकी शक्तियां केवल लोकतंत्र के लिए एक गलतफहमी पैदा करती हैं. यह लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
सीजेआई ने जजों पर हमलों का मुद्दा उठाया
CJI ने जजों पर हमले की चर्चा करते हुए कहा कि जजों पर हमले हो रहे हैं. न केवल शारीरिक बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी कानून प्रवर्तन अधिकारियों को इस संबंध में जजों की उनकी सहायता के लिए आगे आकर मदद करनी चाहिए.
CJI ने प्रधानमंत्री से सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक ढांचे में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समितियों द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करने की अपील की. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में रिक्तियों को तेजी से भरने के लिए कॉलेजियम अच्छी तरह से काम कर रहा है. हमें इस मामले में केंद्र सरकार से सहयोग की उम्मीद है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना दायरा बढ़ा दिया- अटार्नी जनरल
अटार्नी जनरल के के वेणुगापाल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. यह सिर्फ एक संवैधानिक न्यायालय नहीं है. एक अदालत है जो सभी मामलों की सुनवाई करती है. सुप्रीम कोर्ट आपराधिक, जमीन, पारिवारिक मामले आदि की सुनवाई करता है. इसे कम किया जाए. यह सभी मुद्दों पर विभिन्न हाईकोर्ट की अपील सुनता है. हाईकोर्ट के फैसलों की वैधता की जांच करता है. यह सही मायने में संवैधानिक न्यायालय नहीं है.
उन्होंने कहा, भूमि नियंत्रण, संपत्ति, वैवाहिक आदि जैसे मामलों का कोई संवैधानिक मूल्य नहीं है. ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक आपराधिक मामले का फैसला आने में 30 साल लग जाते हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए 5 जजों के साथ 3 संवैधानिक बेंच स्थायी रूप से स्थापित की जाएं. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का समय आ गया है.
मौलिक अधिकारों पर मौलिक कर्तव्य को प्रधानता मिले- कानून मंत्री
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान करता है. यह सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के लिए तीन अंगों, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध की भी परिकल्पना करता है. मेरा विचार है कि मौलिक अधिकारों पर मौलिक कर्तव्य को प्रधानता मिलनी चाहिए.