Advertisement

उपभोक्ताओं को खरीदे गए प्रोडक्ट पर राइट टू रिपेयर सेवाओं का अधिकार मिले, केंद्र ने कंपनियों को दिए निर्देश

जरा सोचिए कि हम और आप एक वाटर प्यूरीफायर या प्रेशर कुकर खरीदने गए हैं और उसके अचानक खराब हो जाने की स्थिति में खरीदी गई कंपनी उसे रिपेयर नहीं कर पाती है और ऐसी स्थिति में न सिर्फ हमारा पैसा डूब जाता है, बल्कि खरीदा गया वही उत्पाद बेकार होकर ई वेस्ट बन कचरा बन जाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:40 AM IST

जरा सोचिए कि हम और आप एक वाटर प्यूरीफायर या प्रेशर कुकर खरीदने गए हैं और उसके अचानक खराब हो जाने की स्थिति में खरीदी गई कंपनी उसे रिपेयर नहीं कर पाती है और ऐसी स्थिति में न सिर्फ हमारा पैसा डूब जाता है, बल्कि खरीदा गया वही उत्पाद बेकार होकर ई वेस्ट बन कचरा बन जाता है. ऐसे ही उपभोक्ताओं के लिए मरम्मत का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए सरकार उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं को उनके उत्पादों की मरम्मत के लिए उपभोक्ता मंत्रालय ने चार बड़े सेक्टर की बड़ी कंपनियों के साथ बैठक की. जिसमें उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित में उत्पादों, सेवा केंद्रों और वारंटी शर्तों के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए.

Advertisement

उपभोक्ता विभाग ने की बैठक
डीओसीए के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में उपभोक्ता विभाग ने चार क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों के साथ एक बैठक आयोजित की जिसमें ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स, और कृषि उपकरण जैसे सेक्टर की कंपनियां शामिल थी और उन्हें सरकार ने उपभोक्ता मंत्रालय के अधीन आने वाले राइट टू रिपेयर पोर्टल पर शामिल होकर उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण संबंधित दिशानिर्देश दिए.

कई जरूरी बातों पर दिया गया जोर
बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि एक उत्पाद जिसकी मरम्मत नहीं की जा सकती या जो अब काम नहीं कर पाएगा, यानी कृत्रिम रूप से सीमित जीवन के लिए डिज़ाइन किया गया है, वह न केवल ई-कचरा बन जाता है बल्कि उपभोक्ताओं को इसे पुन: उपयोग करने के लिए किसी भी मरम्मत के अभाव में नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करता है. इसलिए, यह सुनिश्चित करना है कि जब कोई उपभोक्ता कोई उत्पाद खरीदता है, तो उसके पास उत्पाद का पूर्ण स्वामित्व होता है और मरम्मत के मामले में, उपभोक्ताओं को प्रासंगिक जानकारी के अभाव में धोखा नहीं दिया जा सकता है. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों के आधार पर तमाम स्टेकहोल्डर्स को बुलाया गया था.

Advertisement

समय के साथ यह देखा गया है कि न केवल मरम्मत में काफी देरी होती है बल्कि कई बार उत्पादों की मरम्मत बहुत अधिक कीमत पर की जाती है. अक्सर स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ के साथ-साथ काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

वाटर प्यूरीफायर की प्रमुख कंपनी, जिसमें बड़ी संख्या में शिकायतें देखी गईं और उन्हें विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों और पानी की क्षारीयता के आधार पर अपनी कैंडल्स और अन्य उपभोग्य सामग्रियों का औसत जीवन काल बताने का निर्देश दिया गया. उपभोक्ताओं के हित में इस बात पर जोर दिया गया कि जिन क्षेत्रों में स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता, वास्तविक मरम्मत, वारंटी की अतिरंजित शर्तों को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया जाता है, यह उपभोक्ताओं के सूचित होने के अधिकार को भी प्रभावित करता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement