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अवमानना केस: SC में प्रशांत भूषण ने दाखिल किया बयान, बिना शर्त माफी मांगने से इनकार

अवमानना केस में दोषी करार वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान में बदलाव किया है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है.

प्रशांत भूषण (फाइल फोटो-PTI) प्रशांत भूषण (फाइल फोटो-PTI)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST
  • कोर्ट की अवमानना का मामला
  • प्रशांत भूषण ने दाखिल किया बयान
  • बिना शर्त माफी मांगने से किया इनकार

अवमानना केस में दोषी करार वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान में बदलाव किया है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना के मामले में बिना शर्त माफी मांगने के लिए आज तक का समय दिया था.

प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे, अगर माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी, जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने प्रशांत भूषण से अपने बयान पर विचार करने को कहा. अदालत का कहना है कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो 25 अगस्त को अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी.

अवमानना केस में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण दोषी करार

क्या है पूरा मामला
प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने एक ट्वीट में न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी. 

ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस भेजा था. नोटिस के जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम नहीं करता.

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SC में बोले प्रशांत भूषण- दया की अपील नहीं, जो भी सजा मिलेगी मंजूर

प्रशांत भूषण ने ये भी कहा कि चार पूर्व सीजेआई को लेकर ट्वीट के पीछे मेरी सोच है, जो भले ही अप्रिय लगे, लेकिन अवमानना नहीं है. बता दें कि कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत तय किए गए सजा के प्रावधान के मुताबिक, दोषी को छह महीने की कैद या दो हजार रुपये तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है. 

दया की अपील से इनकार
इस मामले में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा था कि मैं सदमे में हूं और इस बात से निराश हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का कोई सबूत दिए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है. प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैं दया की अपील नहीं करता हूं. मेरे प्रमाणिक बयान के लिए कोर्ट की ओर से जो भी सजा मिलेगी, वह मुझे मंजूर है.

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