
दिल्ली की तमाम सीमाओं पर किसान अपनी मांगों को लेकर डेरा जमाए हुए हैं. केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसान उपज को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी चाहते हैं तो APMC एक्ट को लेकर भी लिखित आश्वासन चाहते हैं. किसान मंडी व्यवस्था को बनाए रखने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान नए कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर भी अपनी आशंका जाहिर कर रहे हैं, इसलिए वो पूरे कानून को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं.
इस बीच, पूर्व की हरियाणा सरकार के एक मसौदे को लेकर चर्चा हो रही है. साल 2010 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तब के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर APMC के एकाधिकार पर अंकुश लगाने की मांग की थी.
उस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा वर्किंग ग्रुप ऑन एग्रीकल्चर प्रोडक्शन के चेयरमैन थे. तब उन्होंने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक रिपोर्ट सौंपी थी और उन्हें सुझाव दिया था कि देश में APMC के एकाधिकार पर रोक लगे और किसानों को APMC से बाहर भी बाजार वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.
रिपोर्ट में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नियम कायदों का भी जिक्र था. उस रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर दो पक्षों में समझौता होगा. नियम के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग स्पॉन्सर और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग प्रोड्यूसर के बीच अनुबंध कृषि समझौता फॉर्म C-I में होगा. इसे दोनों पक्षों की उपस्थिति में संबंधित जिला विपणन प्रवर्तन अधिकारी के पास रजिस्टर्ड किया जाएगा.
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कॉन्ट्रैक्ट न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगा. सहमति के अनुसार खरीदार को कृषि उपज की कुल कीमत का 15% तक की राशि सहमत दर या न्यूनतम समर्थन मूल्य का जमा करना होगा. यह राशि बैंक के पास जमा करनी होगी. उस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होगा तो वहां कारोबार को लेकर सहमति भी नहीं बनेगी. सिक्योरिटी डिपॉजिट समझौते का 15 फीसदी होना चाहिए. इस डिपॉजिट को करार के तीस दिनों की अवधि के भीतर जारी किया जाएगा.