
चंडीगढ़ को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है. इसकी वजह है केंद्र सरकार का वो फैसला, जिसके तहत चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र के नियम लागू होंगे. इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में चंडीगढ़ को पंजाब में तुरंत शामिल करने का एक प्रस्ताव पास किया है.
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है और दोनों राज्यों के बीच इसे लेकर विवाद भी है. चंडीगढ़ में ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट है. प्रशासनिक ढांचा भी वही है. चंडीगढ़ पर पंजाब अपना दावा करता है तो हरियाणा के पास भी अपने जवाब हैं. हरियाणा के नेता दावा करते हैं कि चंडीगढ़ अंबाला जिले का हिस्सा था, जो अब हरियाणा का हिस्सा है.
लेकिन चंडीगढ़ बना क्यों?
आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी. 1947 में जब बंटवारा हुआ तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया. इसलिए मार्च 1948 में केंद्र सरकार ने शिवालिक की तहलटी का इलाका नई राजधानी के लिए तय किया. चंडीगढ़ को पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया है. चंडीगढ़ आज दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है. 1952 में चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बना.
फिर दो राज्यों की राजधानी बना चंडीगढ़
1 नवंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन एक्ट पास किया गया. इस एक्ट के पास होने के बाद पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आया.
उस समय चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की राजधानी बनाया गया. हिमाचल प्रदेश 1970 तक केंद्र शासित प्रदेश था.
एक सरकारी दस्तावेज के मुताबिक, तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि शुरुआत में चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी, जो बाद में पंजाब में मिल जाएगी.
चंडीगढ़ को उस समय दोनों राज्यों की राजधानी इसलिए बनाया गया था, क्योंकि उस समय चंडीगढ़ के पास ही प्रशासनिक ढांचा था.
पंजाब पुनर्गठन एक्ट में ये भी तय किया कि चंडीगढ़ की संपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा पंजाब और 40 फीसदी हिस्सा हरियाणा को मिलेगा.
पंजाब को मिलते-मिलते रह गया चंडीगढ़
चंडीगढ़ पर दावों को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच शुरू से ही विवाद रहा है. पुनर्गठन के 20 साल बाद 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ. इसमें चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने की पूरी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन ऐन मौके पर राजीव गांधी ने इस समझौते से हाथ खींच लिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 में केंद्र सरकार ने हरियाणा को 5 साल में अपनी राजधानी बनाने को कहा था. इसके लिए 10 करोड़ रुपये की मदद भी दी गई थी. लेकिन राजधानी नहीं बन सकी.
पंजाब-हरियाणा ही नहीं, हिमाचल का भी दावा
सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है. 27 सितंबर 2011 को एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19% जमीन पर हिमाचल का भी हक है.
हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर दावा करते हैं कि हिमाचल नवंबर 1996 से भाखड़ा नंगल पावर प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली का 7.19% हिस्सा पाने का भी हकदार था. जयराम ठाकुर कहते हैं कि हिमाचल को चंडीगढ़ में उसका वैध हिस्सा मिलना चाहिए.