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राजभवन में लगी अपनी प्रतिमा का बंगाल के गवर्नर ने खुद किया अनावरण, विवाद के बाद दी सफाई

गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.

बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस. बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस.
अनिर्बन सिन्हा रॉय
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST

पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस का शनिवार को दो साल का कार्यकाल पूरा हुआ. इस मौके पर राजभवन में अपनी ही मूर्ति का अनावरण करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. कई लोग इसे आत्मप्रशंसा का उदाहरण मानते हुए इसकी आलोचना कर रहे हैं. हालांकि, इस मामले पर अब राज्यपाल ऑफिस का बयान सामने आया है.

गवर्नर कार्यालय ने क्या कहा...

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गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.

यह भी पढ़ें: हमारे पास कोई जानकारी नहीं है कि बंगाल राजभवन वक्फ संपत्ति है: बंगाल वक्फ बोर्ड

टीएमसी ने की आलोचना

बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी गवर्नर की आलोचना की है. पार्टी के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, "आज बंगाल में एक अजीब घटना हुई है, गवर्नर सी.वी. आनंद बोस ने अपनी मूर्ति का उद्घाटन किया है, जो कुछ सुर्खियां बटोरने के लिए किया गया लगता है. सवाल यह है कि अगला कदम क्या होगा? क्या वह अपनी मूर्ति पर खुद फूल चढ़ाएंगे? यह एक प्रकार की महा-अहमियत का प्रतीक है."

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सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने भी गवर्नर की आलोचना करते हुए कहा, "यह अपमानजनक है. यह हमारे राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजभवन इस तरह की घटनाओं का गवाह बना है." कांग्रेस प्रवक्ता सौम्या आचार्य रॉय ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "यह बहुत शर्मनाक है. बंगाल की संस्कृति के साथ यह एक छोटा सा खेल हो रहा है."

गवर्नर ने क्या कहा...

इस बीच, गवर्नर ने कहा, "बंगाल के लोग पारंपरिक रूप से समृद्ध हैं. लेकिन राज्य की राजनीति का वर्तमान हाल बहुत खराब है. यह स्थिति केवल राजनेताओं के लिए है. हालांकि बंगाल के लोग इसे ज्यादा समय तक स्वीकार नहीं करेंगे." उन्होंने अपने दो साल के गवर्नर कार्यकाल को "मीठा और कड़वा" बताया.

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