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फिर पटरी पर लौटी कोरोमंडल एक्सप्रेस, यात्री बोली- मुझे लड्डू गोपाल ने बचा लिया

ओडिशा रेल हादसे के बाद पटरियों की मरम्मत की गई और उनपर दोबारा ट्रेनों को आवागमन शुरू हो गया है. ऐसे में आज यानी बुधवार को पश्चिम बंगाल के शालीमार से कोरोमंडल एक्सप्रेस भी तमिलनाडु के चेन्नई के लिए रवाना हुई. 2 जून को ओडिशा में तीन रेलों के बीच हुए एक्सीडेंट के बाद यह ट्रेन पहली बार पटरी पर दोबारा लौटी है.

फिर सफर पर लौटी कोरोमंडल एक्सप्रेस, हाथों में लड्डू गोपाल के साथ सफर कर रहे यात्री फिर सफर पर लौटी कोरोमंडल एक्सप्रेस, हाथों में लड्डू गोपाल के साथ सफर कर रहे यात्री
अनिर्बन सिन्हा रॉय
  • कोलकाता,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने पूरे देश को दहला दिया. इस हादसे के बाद पटरियों की मरम्मत की गई और उनपर दोबारा ट्रेनों को आवागमन शुरू हो रहा है. ऐसे में आज बुधवार को पश्चिम बंगाल के शालीमार से कोरोमंडल एक्सप्रेस भी तमिलनाडु के चेन्नई के लिए रवाना हुई. 2 जून को ओडिशा में तीन रेलों के बीच हुए एक्सीडेंट के बाद यह ट्रेन पहली बार पटरी पर दोबारा लौटी है.

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दोबारा शुरू हुई इस यात्रा को लेकर कोरोमंडल में सफर कर रहे उन यात्रियों में मिली-जुली भावनाएं हैं. कुछ बहुत डरे हुए हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें रेलवे पर बहुत भरोसा है. 

भगवान की मूर्ति लेकर पहुंची एक यात्री

इस ट्रेन के दोबारा शुरू होने पर एक यात्री हाथ में लड्डू गोपाल की मूर्ति लेकर पहुंचीं. हुगली के कोननगर की रहने वाली लक्ष्मी दास सरकार ने बताया कि वो 2 जून को भी कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर करने वाली थीं. लेकिन वो उस दिन ट्रेन में नहीं बैठीं और उसी दिन कोरोमंडल एक्सप्रेस भीषण हादसे का शिकार हो गई.

'उस दिन भी करना था इसी ट्रेन में सफर'

लक्ष्मी दास सरकार भगवान में विश्वास करती हैं और जहां भी वह जाती हैं, लड्डू गोपाल को हमेशा अपने साथ रखती हैं. उन्होंने कहा, '2 जून को मैं कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा करने वाली थी. लेकिन मैंने अपनी बेटी की वजह से अपनी यात्रा रद्द कर दी थी. मेरे बेटी को ऑफिस में कोई जरूरी काम था इसलिए हम उस दिन नहीं जा पाए थे. मुझे अपनी टिकट और योजना रद्द करनी पड़ी. मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं. मैं अपने भगवान लड्डू गोपाल (श्री कृष्ण का बाल रूप) को धन्यवाद देना चाहती हूं.'

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इस रेल हादसे में 275 से ज्यादा लोगों की जान गई थी. यह हादसा कई घरों को कभी ना मिटने वाले गहरे जख्म दे गया. बता दें कि ओडिशा के बालासोर जिले में 2 जून को तीन ट्रेनों की टक्कर हो गई थी. बहनागा स्टेशन के पास SMVB-हावड़ा एक्सप्रेस (12864), कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर हुई थी. हादसे में 275 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 

कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

हादसे के बाद फिर पटरी पर लौटी कोरोमंडल एक्सप्रेस

बताते चलें कि कोरोमंडल एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल में कोलकाता के हावड़ा स्टेशन और तमिलनाडु के चेन्नई के बीच चलती है. हादसे में 15 बोगियां पटरी से उतरी थीं. 7 बोगियां पूरी तरह पलट गई थीं. तीनों गाड़ियों के आपस में टकराने को लेकर रेलवे बोर्ड ने एक और बड़ी जानकारी दी थी. बोर्ड ने ड्राइवरों के हवाले से बताया था कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण यह हादसा हुआ. कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर ने बताया था कि उसने ग्रीन सिग्नल देखकर ही आगे का रास्ता तय किया था. वहीं, यशवंतपुर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने हादसे से पहले अजीब-सी आवाज सुनने का दावा किया था. बता दें कि इस भयानक हादसे में कोरोमंडल ट्रेन को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था.

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कैसे हुआ इतना बड़ा रेल हादसा? 

रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए. दरअसल, बहानगा बाजार स्टेशन पर इन ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है. ऐसे में दोनों ही ट्रेनों की रफ्तार तेज थी. 

बहानगा बाजार स्टेशन से गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक पटरी से उतरी तो ट्रेन के कुछ डिब्बे मालगाड़ी से जा भिड़े. इसी दौरान हादसे के समय डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे भी पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए. हादसा भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से करीब 171 किलोमीटर और खड़गपुर रेलवे स्टेशन से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ.

पहली बार निकली वंदे भारत एक्सप्रेस

2 जून को हुए हादसे के बाद बहनागा रेलवे स्टेशन से 5 जून को पहली बार फुल स्पीड में ट्रेन निकली थी. सुबह साढ़े 9 बजे हावड़ा-पुरी वंदे भारत एक्सप्रेस पहली ट्रेन थी, जो ट्रैक के रिस्टोरेशन के बाद पहली बार फुल स्पीड में निकली है. इस दौरान रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे थे और उन्होंने लोको पायलट को हाथ हिलाकर अभिवादन भी किया.

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