
जब लॉजिक पर भरोसा मजबूत होने की जगह कमजोर होने लगता है, तब मैजिक के आसरे जनता हो जाती है, वो गोबर-गोमूत्र से नहाकर कोरोना भगाने के उपचार करने लगती है. पूजा-पाठ शुरु करती है. हवन करके कोरोना को मारने पर विश्वास करने लगती है. ऐसी कई तस्वीरें पिछले कुछ दिनों में भारत के अलग-अलग हिस्सों से देखने को मिली है.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में बजरंग दल ने कोरोना रोकने के लिए बाल्टी में हवन किया और हनुमान चालीसा पढ़ते हुए गलियों में हवन की बाल्टी लेकर धुआं करते हुए गए. बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी का कहना है कि हवन सामग्री के धुएं से ही गलियों में कोरोना के संक्रमण को खत्म कर दिया जाएगा.
झज्जर में निकली गूगल-लोबाण की धूनी की यात्रा
हरियाणा के झज्जर में भी कोरोना को भगाने के लिए ऐसा ही तरीका अपनाया गया. गूगल-लोबाण की धूनी लेकर शहर भर में संदेश यात्रा निकली. कोरोना को भगाने के लिए घर-घर यज्ञ कराने का संदेश दिया गया. शहर ही नहीं झज्जर के गांवों में भी ट्रालियों में हवन-कुंड रखकर यात्रा निकाली गई.
MP की मंत्री ने हवन को बताया था जरूरी
इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री उषा ठाकुर, उमरिया से जबलपुर रेफर किए गए बच्चे को इलाज के लिए बेड नहीं दिला पाती हैं और मां अपने बच्चे को गोद में लेकर, दूसरे हाथ से ग्लूकोज की बोतल लिए भटकने को मजबूर होती है, लेकिन उषा ठाकुर इलाज के नाम पर यज्ञ हवन को जरूरी बताती हैं.
कानपुर में मरीज के सामने मंत्र-चालीसा
आस्था का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक वॉर्ड के भीतर भर्ती कोरोना मरीज के सामने दो महिलाएं भगवान का नाम लेकर, मंत्र और चालीसा पढ़कर दावा करने लगीं कि वो अपने मरीज को सही कर लेंगी. बाद में पता चला कि ये वीडियो 22 अप्रैल का है. कहानी कानपुर के सरकारी अस्पताल की है.
यहां डॉक्टरों को हटाकर दो महिलाएं मंत्र के भरोसे अपने परिजन को सही करने का दावा करने लगीं. संभव है कि इसके पीछे वजह उस स्वास्थ्य व्यवस्था पर गिरता भरोसा हो, जहां मरीज डॉक्टर तक के लिए तरस जाते हैं, लेकिन ये पूजा भी मरीज के काम नहीं आई, थोड़ी देर में इसने दम तोड़ दिया.
महाराजगंज में कोरोना को भगाने के लिए पूजा
इससे पहले उत्तर प्रदेश के ही महराजगंज से एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें महिलाएं कोरोना को भगाने के लिए पूजा कर रही थीं. नौ दिन तक चलने वाली इस पूजा का मकसद कोरोना को भगाना था. हालांकि, सच्चाई ये है कि आस्था से मानसिक शक्ति तो मिल सकती है लेकिन इलाज डॉक्टर और दवाओं से ही होना जरूरी है.
(रिपोर्ट-आजतक ब्यूरो)