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लांसेट की इंडिया टास्क फोर्स का सुझाव, 2 महीने तक सोशल गैदरिंग पर लगे बैन

लांसेट कोविड-19 कमीशन की इंडिया टास्क फोर्स कहती है कि हम अगले दो महीनों के लिए 10 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्र होने को लेकर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की सलाह देते हैं.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्नेहा मोरदानी
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST
  • धार्मिक आयोजन, चुनाव, सामाजिक समारोह वृद्धि के लिए जिम्मेदार
  • 10 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्र होने को लेकर लगे अस्थायी बैन
  • टेस्टिंग, आइसोलेशन और सामुदायिक निगरानी पर जोर

कोरोना की दूसरी लहर ने देश में जबर्दस्त तबाही मचाई है और पिछले कुछ दिनों से रोजाना नए मामलों की संख्या 2 लाख से ज्यादा दर्ज हो रही है. बढ़ते संक्रमण पर रोक लगाने के लिए प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लांसेट कोविड-19 कमीशन की इंडिया टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि कम से कम दो महीने के लिए इनडोर समारोहों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट का कहना है कि यह उपाय भारत में संक्रमण के बढ़ने दर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है.

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इंडिया टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक आयोजनों, राजनीतिक इवेंट्स (चुनाव), और सामाजिक समारोह (शादी और खेल आयोजन) को संक्रमण के दर में आई बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार बताया है. लांसेट कोविड-19 कमीशन की इंडिया टास्क फोर्स कहती है कि हम अगले दो महीनों के लिए 10 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्र होने को लेकर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की सलाह देते हैं.

चुनाव रैलियों पर कोई प्रतिबंध नहीं
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चुनाव रैलियों को चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया गया है और राजनीतिक आयोजनों पर भी अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं है.

चुनाव प्रचार के दौरान उड़ी कोरोना नियमों की धज्ज्यिां (पीटीआई)

कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बावजूद चार राज्यों और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार और मतदान जारी रहा.

बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी संख्या में जुटे लोग (पीटीआई)

महा कुंभ, पिडकल युद्ध
तो क्या उत्तराखंड में जारी महाकुंभ मेले में कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया गया. कुंभ क्षेत्र में बढ़ते मामलों के बीच कम से कम दो अखाड़ों के हटने के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने मेले को समय से पूर्व खत्म करने से इनकार कर दिया है. साथ ही, राज्य सरकार ने क्या महाकुंभ को 30 अप्रैल से पहले खत्म किया जाएगा, इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. 

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कुंभ मेले में बड़ी संख्या में जुटे लोग (पीटीआई)

इसी तरह आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के कैरुप्पला गांव में 'पिडकल युद्ध' जैसी धार्मिक गतिविधियां पहले ही हो चुकी हैं. इस आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और एक दूसरे के ऊपर गाय के गोबर फेंकते हैं.

हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने घर के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने को लेकर कुछ पाबंदिया लगाई हैं. लेकिन शादियों और अंतिम संस्कारों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

टेस्टिंग और ट्रेसिंग पर जोर की वकालत

दिल्ली सरकार शादी समारोह में मेहमानों के लिए कर्फ्यू पास की अनुमति दे रही है. जबकि महाराष्ट्र के पालघर में शादी के लिए 50 मेहमानों की अनुमति दी है. साथ ही पुलिस की अनुमति भी लेनी जरुरी है. 

लांसेट कोविड-19 कमीशन की इंडिया टास्क फोर्स का कहना है कि ये घटनाएं विघटनकारी हो सकती हैं. रिपोर्ट कहता है कि हम मानते हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं के बीच किसी भी तरह के संक्रमण के जोखिम, रुग्णता और मृत्यु दर को देखते हुए इसे खत्म करने की जरुरत है.

लांसेट कोविड -19 कमीशन की इंडिया टास्क फोर्स ने भी संक्रमणों में वृद्धि के बीच निगरानी के लिए अधिक सतर्कता बरतने का अनुरोध किया है, खासकर उन जिलों में जहां लोग इस तरह के बड़े आयोजनों के बाद लौटेंगे.

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रिपोर्ट में अप्रैल और मई के अगले दो महीनों के लिए सभी मूवी थिएटर, स्पोर्ट्स एरिना और स्टेडियम, और इनडोर हॉल को बंद करने के लिए कहा गया है जहां 50 से अधिक लोग एकत्र हो सकते हैं.

दिल्ली सरकार ने सिनेमाघरों को 30 प्रतिशत क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी है, क्योंकि इसमें जिम, स्पा और ऑडिटोरियम बंद हैं. जबकि कर्नाटक ने सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी है.

टास्क फोर्स की ओर से दी गई अन्य सिफारिशों में लोगों के एकत्र होने से रोकने, टेस्टिंग, आइसोलेशन और सामुदायिक निगरानी शामिल हैं. टास्क फोर्स का यह भी कहना है कि सटीक और तत्काल टेस्टिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेटिंग कोविड-19 प्रबंधन की आधारशिला है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "जैसे-जैसे संक्रमण की संख्या बढ़ती जाती है. लोगों की ट्रेसिंग, टेस्टिंग और आइसोलेटिंग राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर बड़ी चुनौती बन जाएगी."

 

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