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कोरोना से जंग में भारत के दो हथियार! Covaxin और Covishield, जानिए इन दो वैक्सीनों से जुड़ी बातें

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड नाम से कोरोना की वैक्सीन हैं. दोनों में कुछ बातें मेल खाती हैं तो कुछ काफी अलग हैं. देश में वैक्सीनेशन का दूसरा चरण शुरू हो गया है. ऐसे में जानिए दोनों वैक्सीन से जुड़ी कुछ अहम बातें.

भारत में फिलहाल कोवैक्सीन और कोविडशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है. (फोटो-इंडिया टुडे) भारत में फिलहाल कोवैक्सीन और कोविडशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है. (फोटो-इंडिया टुडे)
स्नेहा मोरदानी
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST
  • Covaxin के ट्रायल का तीसरा चरण अभी खत्म नहीं हुआ
  • 62 फीसदी प्रभावशाली रही है कोविशील्ड
  • वैक्सीनेशन अभियान में हो रहा इन दोनों वैक्सीनों का इस्तेमाल

भारत में फिलहाल कोरोना वैक्सीन के खिलाफ जंग में दो वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये दो वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड हैं. दोनों में कुछ बातें मेल खाती हैं तो कुछ काफी अलग हैं. देश में वैक्सीनेशन का दूसरा चरण शुरू हो गया है. ऐसे में जानिए दोनों वैक्सीन से जुड़ी कुछ अहम बातें.

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कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है जिसे हैदराबाद की भारत बायोटेक इंटरनेशनल लीमिटेड कंपनी ने आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के साथ मिलकर बनाया है. यह डेड वायरस के प्लेटफॉर्म टेस्ट पर आधारित है.वैक्सीन को संपूर्ण-विरिअन निष्क्रिय वेरो सेल-व्युत्पन्न प्लेटफॉर्म तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है. निष्क्रिय वैक्सीन रिएक्ट नहीं करती हैं और इसलिए रोग के प्रभाव को वापस लाने की संभावनाएं कम हो जाती हैं.  वैक्सीन मे डेड वायरस होते हैं जो मानव शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं लेकिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं. 

वहीं, कोविशील्ड वैक्सीन वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है. चिम्पांजी के एडिनोवायरस ChAdOx1 वेक्टर है जिसे मॉडिफाई कर मानव कोशिकाओं में कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन ले जाने के लिए बनाया गया है. यह शरीर के अंदर प्रवेश करने पर बुरे वायरस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता है. ऐसे ही प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ईबोला वायरस इनफेक्शन के खिलाफ भी किया गया था.

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 डोज और स्टोरेज

दोनों वैक्सीन के डोज की बात करें तो दोनों वैक्सीन के दो डोज दिए जाते हैं और यह 28 दिन के अंतराल पर दिया जाता है. स्टोरेज यानी रखरखाव की बात करें तो दोनों 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टेबल रहती हैं. इनके लिए सब जीरो स्टोरेज की जरूरत नहीं होती है.

कितनी प्रभावी?

प्री क्लीनिकल स्टडीज़ में कोवैक्सीन में बेहतरीन प्रतिरक्षाजनकता देखी गई है. हालांकि इंसानों को लेकर प्रभावशाली होने के डेटा फिलहाल मौजूद नहीं है. जिसके वजह से वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल अभी समाप्त नहीं हुए हैं. वहीं कोविशील्ड की बात करें तो यह वैक्सीन 62 प्रतिशत तक प्रभावी रही है. 

इस्तेमाल की मंजूरी

कोविशील्ड  को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है. हालांकि इसका इस्तेमाल 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए है. वहीं कोवैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल मोड में रिस्ट्रिक्टेड मंजूरी मिली है. DCGI की तरफ से दोनों वैक्सीन को मार्केट में इस्तेमाल के लिए मंजूरी नहीं दी गई है.

क्या है कीमत

दोनों वैक्सीन सरकारी वैक्सीन सेंटर और प्राइवेट अस्पताल दोनों ही जगह उपलब्ध है. सरकारी सेंटर्स पर वैक्सीन मुफ्त में दी जा रही है जबकि निजी अस्पतालों में 250 रुपये वैक्सीन की कीमत रखी गई है. दोनों इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन हैं.

 

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