
चीन में कोरोना से तबाही जारी है. इससे दुनिया पर एक बार फिर से कोरोना का वैसा ही संकट आने का खतरा बढ़ गया है, जैसा तीन साल पहले आया था.
कोरोना की नई लहर के खतरे के बीच भारत में जल्द ही इंट्रानेजल वैक्सीन भी लगनी शुरू हो सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोविड वैक्सीन पर बनी एक्सपर्ट कमेटी ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाने की मंजूरी देने की सिफारिश की है.
भारत बायोटेक की इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC है. इस वैक्सीन को इस साल 6 सितंबर को सरकार ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी थी. हालांकि, अभी ये वैक्सीन लगाई नहीं जा रही है.
अगर वैक्सीन को रोलआउट करने की मंजूरी मिलती है तो एक और नई वैक्सीन जुड़ जाएगी. फिलहाल, कोविन पोर्टल पर भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin), सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड (Covishield) और कोवोवैक्स (Covavax), रूस की स्पूतनिक वी (Sputnik V) और बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की कोर्बीवैक्स (Corbevax) लिस्टेड है.
दो हफ्ते पहले भारत बायोटेक ने अपनी नेजल वैक्सीन को भी कोविन पोर्टल पर लिस्टेड करने की अपील की थी. अगर सरकार की ओर से मंजूरी मिलती है तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जहां नेजल वैक्सीन लगाई जा रही है.
क्या है ये वैक्सीन?
भारत बायोटेक की ये वैक्सीन नाक से दी जाएगी. इसे पहले BBV154 नाम दिया गया था. अब इसे iNCOVACC नाम दिया गया है.
ये दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन है. भारत के ड्रग्स रेगुलेटर ने 6 सितंबर को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. ये वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दी जाएगी.
इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया है. ये वैक्सीन भारत में बूस्टर डोज के तौर पर ही दी जाएगी.
कितनी सेफ है ये वैक्सीन?
तीन फेज के ट्रायल में iNCOVACC असरदार साबित हुई है. कंपनी ने फेज-1 के ट्रायल में 175 और दूसरे फेज के ट्रायल में 200 लोगों को शामिल किया था.
तीसरे फेज का ट्रायल दो तरह से हुआ था. पहला ट्रायल 3,100 लोगों पर किया गया था, जिन्हें वैक्सीन की दो डोज दी गई थी. वहीं, दूसरा ट्रायल 875 लोगों पर हुआ था और उन्हें ये वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी गई थी.
कंपनी का दावा है कि ट्रायल में ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ असरदार साबित हुई है. कंपनी के मुताबिक, इस वैक्सीन से लोगों के अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ जबरदस्त इम्युनिटी बनी है, जिससे संक्रमण होने और फैलने का खतरा काफी कम है.
बाकी वैक्सीन से कितनी अलग?
भारत में अब तक जितनी वैक्सीन लगाई जा रही है, वो सभी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन हैं. इन्हें इंजेक्शन के जरिए बांह में लगाया जाता है.
लेकिन भारत बायोटेक की ये नेजल वैक्सीन है. इसे नाक के जरिए दिया जाएगा. इसका मतलब ये नहीं कि इंजेक्शन नाक में लगाया जाएगा. बल्कि ड्रॉप की तरह इसे नाक में डाला जाएगा.
नेजल वैक्सीन को मस्कुलर वैक्सीन से ज्यादा असरदार माना जाता है. उसकी वजह ये है कि जब इंजेक्शन के जरिए बांह में वैक्सीन लगाई जाती है तो वो संक्रमण से फेफड़ों को बचाती है. लेकिन नेजल वैक्सीन नाक में दी जाती है और ये नाक में ही वायरस के खिलाफ इम्युनिटी बना देती है जिससे वायरस शरीर के अंदर नहीं जा पाता.
नेजल वैक्सीन की भी दो डोज दी जाती है. दोनों डोज में चार हफ्ते का अंतर होता है. हर डोज में 4-4 ड्रॉप नाक में डाली जाती है.
नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है?
कोरोना समेत ज्यादातर वायरस म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं. म्युकोसा नाक, फेफड़ों, पाचन तंत्र में पाया जाने वाला चिपचिपा पदार्थ होता. नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करती है, जबकि मस्कुलर वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती.
कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन?
जैसा कि पहले ही बता चुके हैं कि ये वैक्सीन सिर्फ बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी. यानी, जो लोग पहले वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं, उन्हें ही ये वैक्सीन दी जाएगी.
कोविन पोर्टल पर मौजूद डेटा बताता है कि अब तक 95.10 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं. लेकिन सिर्फ 22.20 करोड़ लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है.
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया था कि अब तक सिर्फ 27-28% लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है. यानी, अभी भी बड़ी आबादी है जिसने तीसरी डोज नहीं है. ये लोग चाहें तो ये नेजल वैक्सीन ले सकते हैं.