
कोरोना वायरस का नया ओमिक्रॉन वैरिएंट अब डराने लगा है. देश में ओमिक्रॉन के मामले 350 के पार पहुंच गए हैं. एक्सपर्ट ने साल की शुरुआत में तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई है. एक ओर कोरोना के नए मामले बढ़ने लगे हैं तो दूसरी ओर राजनीतिक रैलियां जारी हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूपी चुनाव टालने की अपील की है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगले हफ्ते यूपी दौरे पर हालात की समीक्षा करेंगे. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में भी चुनावी रैलियों और जमावड़ों पर रोक लगाने की मांग करती हुए एक याचिका दायर हुई है. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी यूपी चुनाव टालने की आशंका जताई है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्या सच में चुनावों को टाला जा सकता है. अगर चुनाव टलते हैं तो क्या होगा?
सबसे पहले कि क्या चुनावों को टाला जा सकता है?
- चुनावों को टाला भी जा सकता है और रद्द भी किया जा सकता है. पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान चुनाव आयोग ने कई राज्यों के पंचायत चुनाव और कई विधानसभा और लोकसभा सीटों के उपचुनावों को टाल दिया था. संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग अपने हिसाब से चुनाव कराने को स्वतंत्र है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 52, 57 और 153 में चुनावों को रद्द करने या टालने की बात कही गई है.
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किस स्थिति में टाले या रद्द किए जा सकते हैं चुनाव?
1. कैंडिडेट की मौत होने परः धारा 52 में ये प्रावधान है कि चुनाव का नामांकन भरने के आखिरी दिन सुबह 11 बजे के बाद अगर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो उस सीट पर चुनाव को टाला जा सकता है. लेकिन यहां भी कुछ नियम है. उम्मीदवार की मौत पर चुनाव तभी टलेगा जब उसका नामांकन सही होगा, उसने अपना नाम वापस नहीं लिया होगा और उसकी मौत की खबर वोटिंग से पहले मिले. इसके अलावा चुनाव तभी टलेगा जब वो उम्मीदवार मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का होगा.
2. दंगा-फसाद या प्राकृतिक आपदा आने परः धारा 57 के तहत अगर चुनाव वाली जगह पर दंगा-फसाद या प्राकृतिक आपदा आती है तो वहां चुनाव टाला जा सकता है. अगर ऐसी स्थिति कुछ ही जगहों पर होती है तो पीठासीन अधिकारी टालने का फैसला ले सकते हैं. लेकिन अगर ये पूरे राज्य या बड़े स्तर पर हो तो चुनाव आयोग चुनाव टालने पर फैसला ले सकता है. कोरोना के हालात भी ऐसे ही हैं. इसलिए चुनावों को टालने का फैसला चुनाव आयोग ही कर सकता है.
3. पैसों के दुरुपयोग या वोटर्स को घूस देने परः अगर किसी जगह पर पैसों का दुरुपयोग हो रहा है या वोटर्स को घूस दी जा रही है तो ऐसी स्थिति में चुनाव को टाला या रद्द किया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 324 में ये प्रावधान है.
4. बूथ कैप्चरिंग होने परः अगर किसी मतदान केंद्र पर बूथ कैप्चरिंग का मामला सामने आता है तो वहां पर भी चुनाव को रद्द किया जा सकता है. ऐसा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 58 के तहत किया जाता है.
5. सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने परः चुनाव आयोग को अगर लगता है कि किसी सीट पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं है तो वहां पर चुनाव को रद्द या टाला जा सकता है.
क्या यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव टल सकते हैं?
- चुनाव आयोग को लगता है तो उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के चुनावों को टाल सकता है. अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं. आयोग चाहे तो कोरोना के खतरे को देखते हुए चुनाव को टाल सकता है.
यूपी में चुनाव क्यों टल सकते हैं?
1. इलाहाबाद हाईकोर्ट की अपीलः कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने और चुनाव टालने को कहा है.
2. यूपी में पाबंदियां भी बढ़ींः संक्रमण बढ़ने के बाद यूपी में पाबंदियां भी लगनी शुरू हो गई है. राजनीतिक कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी गई है. साथ ही नाइट कर्फ्यू भी लागू कर दिया गया है.
3. तीसरी लहर का खतराः दूसरी लहर के आने से पहले भी पश्चिम बंगाल और असम समेत 5 राज्यों में चुनाव हुए थे. इसके बाद मामले तेजी से बढ़े थे और बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई थी. मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था. एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि ओमिक्रॉन के कारण तीसरी लहर आ सकती है.
- चुनाव टला तो क्या विधानसभा का कार्यकाल भी बढ़ेगा?
- नहीं. अगर चुनाव टलते हैं तो विधानसभा का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा. मसलन, उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है. उससे पहले चुनाव कराना जरूरी है.
- अगर कोरोना को देखते हुए चुनाव को टाला जाता है तो यहां इन पांचों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. संविधान में एक बार में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है. उसके बाद इसे बढ़ाया जा सकता है.
- बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यही बात कही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव को 6 महीने के लिए टाल सकती है और फिर सितंबर में चुनाव करवा सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसा होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी.
- इसके अलावा संविधान में ये भी प्रावधान है कि किसी भी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 1 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते देश में आपातकाल लागू हो. लेकिन ऐसा अभी नहीं हो सकता क्योंकि इमरजेंसी की स्थिति नहीं है.
कब-कब टले चुनाव?
- 1991 में पहले फेज की वोटिंग के बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई थी. इसके बाद अगले दो फेज के चुनाव में आयोग ने करीब एक महीने तक चुनाव टाल दिए थे.
- 1991 में पटना लोकसभा में बूथ कैप्चरिंग होने पर आयोग ने चुनाव रद्द कर दिए थे.
- 1995 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग के मामले सामने आने के बाद 4 बार तारीखें आगे बढ़ाई गई थीं. बाद में अर्ध सैनिक बलों की निगरानी में कई चरणों में चुनाव हुए थे.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की वेल्लोर सीट से डीएमके उम्मीदवार के घर से 11 करोड़ कैश बरामद हुआ था, जिसके बाद वहां चुनाव को रद्द कर दिया गया था.
- 2017 में महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग लोकसभा सीट छोड़ दी थी. वहां उपचुनाव करवाने थे तो आयोग ने सुरक्षाबलों की 750 कंपनियां मांगी. लेकिन केंद्र से 300 कंपनियां ही दी गईं. जिसके बाद आयोग ने अनंतनाग के हालात खराब बताते हुए चुनाव रद्द कर दिया था.
क्या कोरोना के कारण टल चुके हैं चुनाव?
हां. कोरोना महामारी को देखते हुए चुनाव आयोग ने कई चुनाव टाले हैं. कोरोना महामारी के चलते आयोग ने पिछले साल ही कई राज्यों के पंचायत चुनावों को टाल दिया गया था. मध्य प्रदेश में भी पिछले साल ही पंचायत चुनाव होने थे, जिन्हें टाल दिया गया था. इन चुनावों को एक बार फिर से टाला जा सकता है. इसके साथ ही आयोग ने कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उपचुनावों को भी टाल दिया था. इसके बाद आयोग ने अक्टूबर 2021 में इन चुनावों को करवाया था.