
ब्रिटेन के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी अपने देश में कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक को लोगों को लगाए जाने का आदेश दिया है. वहीं भारत भी वैक्सीन बनाने की दहलीज पर खड़ा है. पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही वैक्सीन के तीन चरणों का ट्रायल पूरा कर चुकी है और अब बस मंजूरी का इंतजार है.
ब्रिटन ने जहां सार्वजनिक तौर पर टीकाकरण के लिए वैक्सीन को मंजूरी दे दी है वहीं भारत में भी वैक्सीन जल्द आने के आसार हैं. सारी कवायद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़र है. शनिवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन शहरों में उन तीन संस्थानों का तूफानी दौरा किया जहां वैक्सीन पर काम तेजी से चल रहा है.
दरअसल, अहमदाबाद में जायडस-कैडिला जायकोव-डी नाम का वैक्सीन बना रही है. ये पूरी तरह से देसी है जिसके दो चरण का ट्रायल हो चुका है. वहीं हैदराबाद में भारत बायोटेक ICMR के साथ मिलकर कोवैक्सीन नाम की कोरोना वैक्सीन बना रही है. एम्स सहित 25 अस्पतालों में इस वैक्सीन का तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
मगर वैक्सीन की रेस में सबसे आगे है पुणे में बन रही कोविशील्ड वैक्सीन. इसे सीरम इंस्टीट्यूट ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बना रही है. ये वैक्सीन देश में सबसे आगे है. इसके तीसरे फेज का ट्रायल भी हो चुका है. वहीं इसे 60 से 70 फीसदी तक कारगर बताया गया है. इस वैक्सीन को बस मंजूरी का इंतजार है.
मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना पर हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा दिया था कि कोरोना वैक्सीन को सभी कसौटियों पर खरा उतरने के बाद ही लोगों को दिया जाएगा. देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी 'आजतक' से खास बातचीत में उम्मीद जता चुके हैं कि अगले साल की पहली तिमाही में लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. सरकार ने सितंबर तक 20 से 25 करोड़ों लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है.
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माना जा रहा है कि जुलाई तक देश में 20-25 करोड़ को सितंबर तक देश में वैक्सीन दे पाएंगे. हालांकि, ये शुरुआती 20-25 करोड़ कौन होंगे जिन्हें टीका दिया जाएगा ये तय होना बाकी है. वहीं टीके को एक शहर से दूसरे शहर और गांव-गांव तक ले जाना बड़ी चुनौती है. देसी वैक्सीन 2 से 8 डिग्री तापमान पर सुरक्षित रखी जा सकती है. इस कोल्ड चेन को बनाए रखने के साथ ही उसे करोड़ों लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं होगा.